उत्तर प्रदेश में अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( आरटीई) 2009 लागू होने के लगभग 10 साल बाद भी परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है । प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षा मंत्रालय को प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक के लिए शैक्षिक सत्र 2019 20 की भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 45625 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से 80 प्रतिशत ऐसे हैं जहां तीनों विषयों ( भाषा, गणित/विज्ञान व सामाजिक विज्ञान) के शिक्षक नहीं है । जबकि यूपी में जुलाई 2011 को लागू आरटीई के अनुसार प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालय में अनिवार्य रूप से इन तीनों विषयों के शिक्षक होने चाहिए। कोरांव के उच्च प्रा स्कूल इटरिहान, देवीबांध, मझगवां जैसे अनेक स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक हैं। एक परिसर में संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के संविलियन के बाद स्थिति थोड़ी सुधरी है, ऐसे उच्च प्राथमिक स्कूल हैं जो एक शिक्षक के भरोसे हैं।
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों का प्रमोशन होना चाहिए। सालों से प्रमोशन नहीं होने के कारण उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नहीं बचे हैं और आरटीई मानक के अनुसार पढ़ाई नहीं हो पा रही है। -दीपक मिश्र, 1 जुलाई 2009 को नियुक्त और प्रमोशन से वंचित शिक्षक