डिजिटल स्मार्ट होंगे माध्यमिक स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे

रामपुर। अब छठी कक्षा से ही बच्चों को कोडिंग यानी कंप्यूटर की भाषा सिखाई जाएगी। विद्यार्थियों को ई-मेल करना, फाइल बनाना, इंटरनेट के जरिये सूचना प्राप्त करना, पाठ्यक्रम से जुड़ी सामग्री को इंटरनेट से डाउनलोड करना सहित अन्य कार्य सिखाए जाएंगे। इसके लिए पाठ्यक्रम में सत्र 2022-23 से डिजिटल लिट्रेसी (डिजिटल साक्षरता) को शामिल किया जाएगा।


माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2022 के तहत यह योजना तैयार की है। इसके तहत राजकीय विद्यालयों में कक्षा 6 से कोडिंग (कम्प्यूटर की भाषा) को लागू कर उसे कक्षा 8 तक विस्तार दिया जाएगा। बच्चों को सी लैंग्वेज, सी प्लस प्लस, जावा स्क्रिप्ट, एचटीएमएल, सीएसएस और पीएचपी सहित कोडिंग की अन्य भाषाओं का अध्ययन कराया जाएगा। कोडिंग के जरिये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बौद्धिकता) सहित अन्य भाषा सीखी जा सकेगी।

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हर स्कूल की अपनी वेबसाइट व डिजिटल क्लासरूम
शिक्षा में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए हर स्कूल की अपनी वेबसाइट होगी। सभी विद्यालयों में डिजिटल क्लासरूम व वर्चुअल लैब की व्यवस्था की जाएगी। सभी विद्यालयों में कम से कम एक कंप्यूटर शिक्षक की नियुक्ति होगी। विद्यालय से जुड़े डाटा का हर स्तर पर प्रबंधन किया जाएगा।
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प्रतिभावान विद्यार्थियों को ओलंपियाड के लिए करेंगे तैयार
माध्यमिक शिक्षा विभाग की डिजिटल लिट्रेसी योजना के तहत प्रतिभावान विद्यार्थियों को बिहार के सुपर-30 की तरह नीट और जेईई की तैयारी के लिए विशेष तकनीकी सहयोग दिया जाएगा। साथ ही विभिन्न विषयों के बच्चों को ओलंपियाड में भाग लेने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया जाएगा। कक्षा-11 व 12 के विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी रीडिंग प्रोग्राम से जोड़ा जाएगा।
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फैक्ट फाइल :
- जिले में 36 राजकीय उच्चतर माध्यमिक और इंटर कॉलेज हैं।
- जिले में अशासकीय इंटर कॉलेज 25 हैं।
- जिले के राजकीय, अशासकीय और वित्तीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में करीब 48 हजार छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं।
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स्कूली शिक्षा को प्रत्येक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ा जाएगा। इसके लिए 2021-22 में सर्वे और ट्रेड का निर्धारण किया जाएगा। 2022-23 से कक्षा 9 व 11 में दस दिन का इंटर्नशिप प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। शासन की योजना से सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को अवगत करा दिया है। सभी स्कूलों में तैयारी शुरू करने को कहा गया है।
-मुनीश कुमार, जिला विद्यालय निरीक्षक