27 हजार परिषदीय स्कूलों में नहीं है चहारदीवारी


लखनऊ। प्रदेश में करीब 27 हजार परिषदीय विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है। इससे कहीं विद्यालय की जमीन पर कब्जे हो रहे हैं तो कहीं स्कूलों में जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है। परिसर में पौधे भी नहीं लग पाते और छुट्टी के बाद अराजकतत्व भी बेरोकटोक विद्यालय में जमा हो जाते हैं। इस समस्या के निदान के लिए अब मनरेगा से ऐसे स्कूलों की चहारदीवारी बनवाई जाएगी। इसकी कवायद शुरू हो गई है।

बीते दिनों ग्राम्य विकास आयुक्त की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में इन विद्यालयों की चहारदीवारी बनवाने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार बीते दिनों हुईं मंडलीय गोष्ठियों में कुशीनगर व एटा के डीएम ने छह माह में सभी विद्यालयों की चहारदीवारी बनवाने का वादा किया है। अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में 1.33 लाख विद्यालयों में से 27 हजार विद्यालय चहारदीवारी विहीन हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बताया कि ऑपरेशन कायाकल्प अभियान के तहत विद्यालयों को संवारने का काम चल रहा है। सभी जगह 2023 तक बाउंड्रीवाल बनवाने का लक्ष्य है।

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा समस्या उप्र दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में चहारदीवारी न होने से जानवरों का विद्यालय में घुसना सबसे बड़ी समस्या है। कई स्कूल नदी, तालाब या नाले किनारे स्थित हैं। इससे छोटे बच्चों के खेलते हुए बाहर जाने या दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। अराजकतत्वों से भी शिक्षकों को कई बार भिड़ना पड़ता है इसलिए चहारदीवारी का निर्माण जरूरी है।


अवध क्षेत्र गोंडा में चहारदीवारी विहीन सबसे ज्यादा स्कूल

लखनऊ में 340 स्कूलों में चहारदीवारी नहीं है। इसके अलावा अंबेडकरनगर में 460, अमेठी में 508, अयोध्या में 234, बहराइच में 112, बलरामपुर में 363, बाराबंकी में 581, गोंडा में 966, रायबरेली में 691, श्रावस्ती में 246, सीतापुर में 667 और सुल्तानपुर में 805 स्कूलों में बाउंड्रीवाल नहीं है।

इन जिलों में 500 से ज्यादा स्कूल

खीरी में 1119, प्रतापगढ़ में 1091 आजमगढ़ में 1003, गाजीपुर में 910, बलिया में 900, गोरखपुर में 778, बस्ती में 766, कुशीनगर में 771, बांदा में 606, उन्नाव में 596, संतकबीरनगर में 536 व जीनपुर में 509 स्कूलों में चहारदीवारी नहीं है।