पढ़ाई के साथ रोजगार का हुनर भी सीख रहे बच्चे


गाजियाबाद प्रताप विहार के कम्पोजिट स्कूल में जब 11 वर्षीय सोनम को लाया गया तो उसका मन स्कूल में नहीं लगा। सात बहनों में एक सोनम का मन किताबों में नहीं लगता क्योंकि वह घर में अपनी बहनों को संभालती और काम करती थी। स्कूल में उसने चिक्की, अचार आदि बनाना सीखा तो इस दौरान उसके स्कूल में दोस्त बन गए है।

सोनम के जैसे मथुरा में जमुनापार स्कूल में 13 वर्षीय सरिता ने अपने सिलाई के हुनर को निखारा और अब वह भगवान कृष्ण के वस्त्रत्त् और जेवर बनाती है। सरिता, सोनम और इनके जैसे ही आउट ऑफ स्कूल बच्चों का स्कूल में ठहराव रोकने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में लर्निंग बाई डूइंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

श्रम विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा यूनिसेफ और पुणे की विज्ञान आश्रम संस्था के सहयोग से 15 जिलों में इसका पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसमें बच्चों के गणित एवं विज्ञान की बुनियादी कौशल के साथ-साथ बच्चों को जीवन कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आगरा, कानपुर नगर, चन्दौली, बरेली, बुलन्दशहर, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी और सहारनपुर के नगरीय क्षेत्रों के स्कूलों में संचालित किया जा रहा है और यहां से आ रही सकारात्मक रिपोर्टों के आधार पर इसे पूरे प्रदेश में कक्षा छह से आठ तक लागू करने की योजना है।

इस कार्यक्रम के तहत नगर क्षेत्र में 15 जिलों में कुल 60 लैब की स्थापना हुई है। इन बच्चों को विभिन्न ट्रेडों मसलन खाद्य प्रसंस्करण, फिनायल-लिक्विड सोप आदि बनाना, सोलर लाइट, एलर्डडी लाइटिंग आदि प्रशिक्षण प्रदान कर कौशल को विकसित किया जा रहा है ताकि बच्चे भविष्य में स्वरोजगार में आत्मनिर्भर हो सके और इसके साथ-साथ बच्चों में गणित एवं विज्ञान के कौशलों को भी विकसित किया जा रहा है।


समुदाय को कई सेवाएं न्यूनतम दरों पर उपलब्ध कराएंगे
इस कार्यक्रम के लिए 11 से 14 वर्ष की आयु के आउट ऑफ स्कूल व श्रमिक बच्चों को चयनित किया गया है। केंद्र में पंजीकृत छात्रों को विभिन्न ग्रामीण प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद छात्र समुदाय को विभिन्न सेवाएं न्यूनतम दर पर उपलब्ध कराएंगे, जिससे छात्रों को अपने क्षेत्र में ही रोजगार का अवसर भी मिलेगा। एक वर्ष में छात्रों को 4 ट्रेड्स में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

प्रत्येक ट्रेड 2 महीने का होगा, इस तरह से एक साल में छात्र चारों सेक्शन का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। प्रत्येक केंद्रों में 15 बच्चों छात्रों का एक बैच होगा, जिन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और एक केंद्र पर सप्ताह के पांच कार्य दिवसों में कुल 75 छात्रों को प्रशिक्षित किया किया जाएगा।


ये हैं चार ट्रेड

● इंजीनियरिंग- फैब्रिकेशन, प्लम्बिंग, निर्माण, सैनिटेशन आदि

● एनर्जी इनवॉयरमेंट-इलेक्ट्रिक वायरिंग, सोलर लाइट, रेन वाटर हार्वेस्टिंग

● होम साइंस व आईटी, स्वास्थ्य-खाद्य प्रसंस्करण, सौर्य ऊर्जा, सोया मिल्क, ब्लड ग्रुप टेस्टिंग आदि

● कृषि व कृषि आधारित उत्पाद- शहरी बागवानी, वर्टिकल फार्मिंग