सभी छात्राओं को मुफ्त मिले सैनिटरी पैड्स, सुप्रीम कोर्ट का आदेश


सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को एक खास निर्देश दिया है। इस निर्देश के तहत इन सभी को वहां पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त सैनेटरी पैड देने के लिए कहा गया है।


सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को एक खास निर्देश दिया है। इस निर्देश के तहत इन सभी को वहां पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त सैनेटरी पैड देने के लिए कहा गया है।


मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। यह फैसला जया ठाकुर की जनहित याचिका पर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को छात्राओं की सुरक्षा और साफ-सफाई का इंतजाम के लिए भी किया। इसके अलावा पीरियड्स के दौरान सफाई को लेकर योजना बताने के लिए भी कहा गया है।



सुप्रीम कोर्ट ने बताया महत्वपूर्ण
सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते में यूनिफॉर्म पॉलिसी बनाने के लिए भी निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी इसमें शामिल करने के लिए कहा। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि केंद्र युवा और किशोर लड़कियों के लिए पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई को लेकर प्रतिबद्ध है। लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सम्बंधित राज्यों की है।



याचिकाकर्ता ने यह उठाई थी मांग
गौरतलब कि याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने कहा कि गरीब लड़कियों को पीरियड्स के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और छठवीं से 12वीं तक की सभी छात्राओं को मुफ्त में सैनेटरी पैड्स उपलब्ध कराए जाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता जया ठाकुर मध्य प्रदेश की कांग्रेसी नेता हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि यह लड़कियां अक्सर हाइजीन मेंटेन नहीं कर पातीं। साथ ही इस पर केंद्र और राज्यों से जरूरी निर्देश देने की भी गुहार लगाई गई है।



छात्राओं के लिए माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की राष्ट्रीय नीति बनाएं



नई दिल्ली। स्कूली छात्राओं के लिए माहवारी स्वच्छता प्रबंधन व सेनेटरी पैड्स उपलब्ध करवाना 'बेहद महत्वपूर्ण' विषय मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एकसमान राष्ट्रीय नीति लागू करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा, केंद्र को यह देखने के लिए सभी प्रदेशों के साथ जुड़ना चाहिए कि राज्य समायोजन के साथ समान नीति को लागू कर सकें। केंद्र को समस्त निर्देशों पर जुलाई, 2023 के अंत तक अपडेट रिपोर्ट देने को कहा गया है।



चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने डॉ. जया ठाकुर की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कहा, राष्ट्रीय नीति बनाने और लागू करने के लिए केंद्र सभी राज्यों व भागीदार पक्षों को शामिल करे। समन्वय के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव नोडल अधिकारी होंगे। वह राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से नीतियों पर डाटा जमा करेंगे, ताकि स्थानीय जरूरतों के अनुसार काम हो सके। 




राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से भी उनकी नीतियों, केंद्र या खुद की फंडिंग से लागू योजनाओं की जानकारियां चार सप्ताह में तलब की गई हैं। जानकारियां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बने मिशन संचालन समूह को दी जाएंगी। 10 साल के अनुभवों के आधार पर समूह राष्ट्रीय गाइडलाइंस का भी पुनर्मूल्यांकन करेगा। व्यूरो