बोलने, लिखने में परेशानी वाले छात्रों को परीक्षा में एक घंटे अतिरिक्त समय


नई दिल्ली। बोलने, भाषा, पड़ने, स्पेलिंग, गणित, शब्द पहचाने में दिक्कत कोई कमजोरी नहीं है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत ऐसे छात्रों की दिक्कतों के समाधान यानी डिस्लेक्सिया के बारे में स्कूल, कॉलेज से लेकर ऑफिस तक जागरूक अभियान चलाएगी। इसमें शिक्षकों को ऐसे छात्रों को पहचान और पढ़ाई में दिक्कत दूर करने को विशेष माड्यूल के तहत प्रशिक्षण मिलेगा खास बात यह है कि ऐसे छात्रों को तीन घंटे की परीक्षा में एक घंटे अतिरिक्त समय दिया जाएगा। इसके अलावा समस्या अधिक होने पर लिखित परीक्षा में वे सहायक भी ले सकते है।



तारे जमीं पर फिल्म के बाद आम लोगों को डिस्लेक्सिया के बारे में पता चला आज भो खोलने, भाषा, पहने, स्पेलिंग, गणित, शब्द या अंक की पहचान न कर पाने वाले छात्रों को नालायक या पढ़ाई में सबसे कमजोर होने की बातें सुनने को मिलती है। हालांकि डिस्लेक्सिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि ये छात्र सिर्फ कुछ मामलों में पीछे होते हैं जबकि इनोवेशन, आइडिया,
दिक्क़तों के समाधान में अव्वल होते हैं। मंत्रालय और कौशल विकास मंत्रालय आम छात्रों की तरह अब डिस्लेक्सिया वाले छात्रों के लिए पढ़ाई का बेहतर माहौल तैयार किया है।

इसमें डिस्लेक्सिया पर काम करने वाली संस्था चेंज आईएनकेचे भी सहयोग कर रही है। इस संस्था ने एआईसीटीई के साथ-साथ राज्य शिक्षा विभाग एससीईआरटी के साथ मिलकर प्रोजेक्ट तैयार किया है.

दसवीं, 12वीं राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा से लेकर अन्य परीक्षाओं में डिस्लेक्सिया वाले उम्मीदवार तीन घंटे को परीक्षा में एक घंटे अतिरिक्त समय की मांग कर सकते हैं।


प्रधानमंत्री मोदी के चलते

डिस्लेक्सिया पर पहली बार काम

चैन आईएनकेके, संस्था, दिल्ली के निपुर झुनझुनवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण पहली बार डिस्लेक्सिया पर काम हो रहा है। इस जागरुकता अभियान का लाभ स्कूल और ऐसे के ऑफिस में काम करने वाले युवाओं को भी मिलेगा। ऐसे लोग अत्यधिक होते हैं, सिर्फ सोचने का नजरिया थोड़ा हटकर होता है। इसलिए ऐसे छात्रों को पढ़ाने के लिए विशेष महल किए गए माडल से एआईसीटीई के तकनीकी कॉलेजों और स्कूल के शिक्षकों को प्रदे जा रहा है। उन्हें ऐसे छात्रों की पहचान और फिर दिक्कत के आधार पर पढ़ाई करवाना है। यही ऑफिस में जाकर भी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, ताकि यदि कोई ऐसा प्रोफेशनल हो तो उसे उसके आधार पर आगे काम से जोड़ा जा सके।


कौशल से जोड़ने पर भी काम

छात्रों को के साथ-साथ कौशल विकास से भी जोड़ा जाएगा। ऐसे छात्र इनोवेशन के साथ दूसरों से सोचने व समझाने में सबसे अलग होते हैं। इसलिए यदि फौशल विकास के साथ जोड़ते है तो उसका लाभ मिलेगा साथ ही ये आगे चलकर स्टार्टअप आदि में भी अपना भविष्य खोज सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर पांच में से एक छात्र या व्यक्ति डिस्लेक्सिया प्रभावित होता है, लेकिन पहचान न होने के कारण उसे कभी पता ही नहीं। चलता है और वह खुद को सबसे नालायक या कम समझदार समझता है