अंधेर : 16 बच्चो में तीन शिक्षक,2 रसोइए

 
खंड कमासिन का एक ऐसा विद्यालय है जहां न तो नौनिहालों के बैठने की व्यवस्था है और न ही स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, शौचालय टूटा हैं, बिजली है लेकिन मानक के अनुरूप पंखे नहीं लगे। 16 बच्चों में यहां तीन शिक्षक हैं। कहीं किसी विद्यालय में एक सैकड़ा से भी अधिक बच्चों पर एक ही शिक्षक है। दरबारी पुरवा में 5 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति है।



विकास खंड कमासिन के ग्राम पंचायत अंडौली मजरा दरबारी पुरवा की कुल आबादी 150 के लगभग एक प्राथमिक विद्यालय दो कक्षीय बीते 2005 से संचालित है। शिक्षा विभाग बच्चों को स्वस्थ्य रहने के लिए जहां संचारी रोग जागरूकता पखवाड़ा चलाया जा है। वहीं स्कूल के अंदर गंदे पानी के जलभराव से दर्जनों बच्चे बीमार हो रहे हैं। कक्षा-5 के छाल बीरू, तोफीक, पूनम, कक्षा- 4 के अंश रंजन, मधु, नाजिया इंद्रराज कक्षा 3 की रोशनी, अमिता है। इस विद्यालय में माल 16 बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। जिनमें 10 बालक एवं 6 बालिकायें हैं। जो विभिन्न शिवानी सिंह, अंजली, साजन, सीमा, मनीष आदि बच्चे बुखार व उल्टी-दस्त से हैं। गुप्ता का कहना है कि वह अपने आला अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी नरैनी, बीडीओ तथा बदौसा व बरछा प्रधान से इस विकराल की समाधान की कक्षाओं में पंजीकृत हैं। इस विद्यालय में न तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है। हां पेयजल के नाम पर मांग कर चुकी है। मगर कोई कार्यवाही नही हुई। जिससे यहां नाली के बजबजाते पानी से भयंकर गंदगी फैल गयी है। मच्छर व मक्खियों की भरमार है। स्कूल में क्लासरूम के अलावा कहीं जगह नही है। यहां कोई सफाई कर्मचारी झाडू लगाने तक नहीं आते हैं। अभिभावक रामदीन, रामबहोरी,प्लास्टिक की पानी की टंकी जरूर मौजूद है। जिससे कभी एक बूंद पानी नही टपका । 

शौचालय टूटा,भारत आदि का कहना है कि शिक्षा विभाग स्कूल में भरे पानी की साफ-सफाई नहीं करा रहे हैं। जिससे उनके बच्चों को लूज मोशन हो रहा है, तो किसी को बुखार है। दोपहर के खाने में यहां की मक्खियां बैठकर बच्चों को बीमार कर रही हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित जिलाधिकारी से स्कूल में भरे गंदे पड़ा है और यहां न तो बिजली है न पंखे। मानक के अनुसार 35 बच्चों में शिक्षक की नियुक्त होना चाहिये। परंतु यहां शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कृपापात बने हेड मास्टर नरेंद्र गुप्ता, सहायक अध्यापक योगेंद्र कुमार, नरेंद्र कुमार है। औसतन पांच बच्चों में एक शिक्षक की तैनाती है। मध्यान्ह भोजन बनाने हेतु 25 बच्चों में एक रसोइये के मानक है, परंतु यहां 16 बच्चों के मध्य पार्वती और शिवप्यारी नाम की दो महिलायें रसोइयें है। सोचनीय विषय है कि खुले आम शिक्षा विभाग के मानकों की अनदेखी कर जिम्मेदार सरकारी धन का दुरूपयोग कर रहे हैं। यह आम नागरिकों के जेहन नहीं उतर रहा.. है। एक ही सवाल उठता है कि क्या ऐसे में सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण चलाई जा रही योजना सर्व शिक्षा अभियान क्या पूरा हो पायेगा अथवा अन्य योजनाओं की तरह यह महत्वपूर्ण अभियान भी दम तोड़ देगा।

पानी को निकलवाकर साफ-सफाई व बरछा ब के शौचालय व नाली की सफाई करवाये जाने की मांग की गयी। थी लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई है। इसी प्रकार क्षेत्र के अन्य गांवों में स्थित परिषदीय विद्यालयों की हालत बनी हुई है। दूर-दराज के गांवों मे तो शिक्षक भी बज्चों को पढ़ाने नही जाते हैं।