कवायद : 50-50 रुपये जोड़कर कर देते हैं 50 लाख की मदद


कवायद : 50-50 रुपये जोड़कर कर देते हैं 50 लाख की मदद


फतेहपुर/ खागा, इसे एकता में शक्ति कहें या फिर बूंद-बूंद से घड़ा भरने की कवायद, कुछ भी कहिए लेकिन टीचर्स सेल्फ फेयर टीम ने साबित कर दिया कि पवित्र मन से किया गया कार्य भी पवित्र होता शिक्षकों के परिवारों को 50-50 हर माह की जाती है दिवंगत शिक्षकों के परिवारों की मदद

ढाई साल पहले गठित हुई थी टीचर्स सेल्फ केयर टीम संस्था

लाख रूपये की मदद कर दी। टीएससीटी का गठन किया। उद्देश्य

कौन बन सकता है टीएससीटी का सदस्य

संस्था की नियमावली के मुताबिक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक, अनुचर एवं माध्यमिक विद्यालयों के सभी शिक्षक इसके सदस्य बन सकते हैं। सदस्य के लिए प्रत्येक माह की 15 से 25 तारीख के बीच चुने गए दिवंगत परिवारों के प्रत्येक नामिनी को न्यूनतम 50 रूपये की मदद करनी होती है। इस तरह चार परिवारों की मदद करने के लिए शिक्षकों को प्रतिवर्ष करीब मात्र 2400 रूपये ही खर्च करने पड़ेंगे।

अगस्त माह में प्रदेश के विभिन्न है। दिवंगत साथी शिक्षकों के परिजनों पुरानी पेंशन व जीपीएफ जैसे परिवारों को आर्थिक मदद मुहैया जिलों के चार दिवंगत शिक्षकों के यह मदद टीएससौटी में पंजीकृत को प्रत्येक माह सिर्फ 50 रुपये की सेवानिवृत्त लाभों से दूर होने के बाद कराना। 

शुरूआती दौर में संगठन के नामिनी को पचास लाख रूपये दिए एवं नियमों का पालन करने वाले मदद के अभियान ने दर्जनों परिवारों 26 जुलाई 2020 को प्रयागराज के सदस्य शिक्षकों की संख्या कम होने गए। 

इससे पहले जुलाई में इतनी ही सदस्य शिक्षकों द्वारा उल्लिखित करोड़ रूपये एकत्र कर चार दिवंगत संग टीचर्स सेल्फ केवर टीम वानी तक थी लेकिन सदस्यों की संख्या को करीब 45 लाख रूपये की मदद होने के बाद नामिनी के बैंक खाते में था कि असमय दिवंगत शिक्षकों के के आंसू पोछे हैं।



इस माह प्रदेश से दो विवेकानंद नाम के शिक्षक ने साथियों पर सहयोग राशि प्रतिमाह सौ रूपये संख्या में दिवंगत शिक्षकों के नामिनी किए गए नामिनी को उसके दिवंगत बढ़ने पर सहयोग राशि भी कम होती की गई थी।

जिले से जुड़े एक हजार से अधिक शिक्षक: टीएससीटी की वेबसाइट में जिले से अब तक एक हजार से अधिक शिक्षक पंजीकरण करा चुके हैं। अगस्त में जिले से लगभग 850 शिक्षकों ने दिवंगत परिवारों को सहयोग राशि प्रदान की। सूबे से अब तक एक लाख से अधिक शिक्षक इस मुहिम से जुड़ चुके हैं।