19 August 2023

BEd BTC पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार का फैसला, DElEd की सीटें होंगी दोगुनी


उत्तराखंड के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(डायट) में डीएलएड की सीटें बढ़ाई जाएंगी। वर्तमान में हर डायट में केवल 50-50 सीटें तय हैं। अब सरकार इनकी संख्या दोगुना तक करना चाहती है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की। सरकार ने यह कसरत सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद शुरू की है, जिसके तहत बीएड डिग्री को बेसिक शिक्षक के लिए अमान्य कर दिया गया है। प्रदेश में वर्तमान में बेसिक शिक्षक के तीन हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं व भविष्य में रिक्त पदों की संख्या और भी बढ़ सकती है। इसके सापेक्ष राज्य के अपने सरकारी डायट से अगले दो वर्ष में 1100 डीएलएड प्रशिक्षित अभ्यर्थी मिल पाएंगे। फिर दो साल बाद 600 से ज्यादा अभ्यर्थी मिल सकते हैं।




इस संबंध में शिक्षा मंत्री डॉ.रावत ने गुरुवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरे देश पर लागू होता है। यदि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड को अमान्य किया है तो वो देश के अन्य राज्यों के समान उत्तराखंड में भी लागू होगा। शिक्षकों के पदों को योग्य अभ्यर्थियों से ही भरने के लिए सरकार राज्य के डायट में सीटें बढ़ाएगी। इसके लिए जल्द बैठक की जाएगी।

निजी कॉलेजों को इंटीग्रेटेड कोर्स की मंजूरी दे सरकार
देहरादून, । एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस्ड इंस्टीट्यूटस ने सरकार से निजी कॉलेजों में चार साल के बीएड के इंटीग्रेटेड कोर्स को मान्यता दिलाने और दो वर्षीय डीएलएड कोर्स शरू करने की अनुमति के प्रयास करने की मांग की। ऐसोसिएशन का कहना है कि यदि इस विषय पर गंभीरता ने विचार न किया गया तो राज्य के युवाओं केा शिक्षक बनने की पात्रता हासिल करने के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करना पड़ेगा।


BEd Vs BTC DElEd : अब डीएलएड वाले कम और नौकरियां ज्यादा होंगी
गुरुवार को न्यू कैंट रोड स्थित एसोसिएशन के कार्यालय में प्रेस कांफ्रेस में अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक शिक्षक के लिए डीएलड प्रशिक्षित को ही पात्र माना है। 11 अगस्त को दिए फैसले में कोर्ट ने एनसीटीई के वर्ष 2018 की उस अधिसूचना को भी निरस्त कर दिया है, जिसके तहत बीएड को छूट दी गई थी। इस फैसले से उत्तराखंड पर असर पड़ना तय है। दरअसल, राज्य के 13 जिलों में चल रहे डायट में केवल 650 सीटें हैं। जबकि पदों की संख्या ज्यादा है। पांच साल पहले निजी कॉलेज ने डीएलएड कोर्स शुरू करने के लिए आवेदन किया था। तब राज्य के अफसरों ने विरोध के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो पाया। यही नहीं जिन कॉलेज को एनसीटीई से अनुमति मिल गई थी, उन्हें भी अपने कोर्स बंद करने पड़े। चार साल के इंटीग्रेटेड बीएड के कोर्स के आवेदन भी लटकाए गए हैं।