08 August 2024

शिक्षकों ने पढ़ाने में की लापरवाही तो कंट्रोल रूप से आया फोन


प्रयागराज। राजकीय विद्यालय के

शिक्षकों ने पढ़ाने में लापरवाही की तो कंट्रोल रूम से प्रधानाचार्य के पास फोन आ गया। वह तुरंत सक्रिय हुए और शिक्षक को कक्षा में भेजा।

सप्ताहभर में मंडल के 50 राजकीय विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को फोन करके चेताया गया। इसका असर यह हुआ कि शिक्षक समय से कक्षा में उपस्थित होने लगे और विद्यार्थी बेवजह बाहर नहीं निकल रहे हैं।


राजकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ.दिव्यकांत शुक्ल ने ऑनलाइन निगरानी की पहल की थी। उनके कार्यालय में 27 जुलाई को माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कंट्रोल रूम का शुभारंभ किया था।

इस कंट्रोल रूम से मंडलभर के 150 राजकीय विद्यालयों के सीसीटीवी जोड़े गए। इसके लिए चार कर्मचारियों की तैनाती की गई। वह विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि को देख रहे हैं। बच्चों के बेवजह कक्षा से बाहर टहलने, शिक्षकों के
न आने या कक्षा खाली होने पर प्रधानाचार्य को फोन करते हैं।

सप्ताहभर में 50 विद्यालयों को टोका गया। यह कार्रवाई नहीं, केवल उनकी जिम्मेदारी के प्रति आगाह किया जा रहा है। इसका असर भी दिखने लगा है। अब शिक्षक समय से कक्षा में पहुंचने लगे हैं।

राजकीय इंटर कॉलेज प्रतापगढ़ के प्रधानाचार्य ने सुधार नहीं किया, इसलिए उनको नोटिस भी जारी किया गया है। राजकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए जेडी ने यह तरीका अपनाया है। इससे पहले उन्होंने ऐसा प्रयोग यूपी बोर्ड की परीक्षा में किया था।

बोर्ड परीक्षा की निगरानी सीसीटीवी से हुई थी। इसलिए पेपर लीक नहीं हुआ और शुचितापूर्ण परीक्षा हुई। उन्होंने कहा कि हमारी मंशा शिक्षकों को दंडित करना नहीं, बल्कि उनको अध्यापन के लिए प्रेरित करना है। जिससे जीआईसी से भी टॉपर बच्चे निकलें