✅ *डिजिटल उपस्थिति रोकने हेतु reasons-*
1. *टेक्निकल समस्या बार-बार आती है* — ऐप हैंग, “Bad Gateway”, नेटवर्क फेल, डिवाइस स्लो होना आम समस्या है।
2. *ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की भारी कमी है*, जिससे समय पर उपस्थिति दर्ज करना असंभव हो जाता है।
3. *टैबलेट खराब या पुरानी तकनीक के हैं*, जिनमें प्रेरणा ऐप सही से काम ही नहीं करता।
4. *शिक्षकों को तकनीकी कार्य में उलझा दिया गया है*, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
5. *डिजिटल उपस्थिति का उद्देश्य “निगरानी” है, न कि “गुणवत्ता सुधार”*, जो शिक्षकों के मनोबल को गिराता है।
6. *छात्रों की शिक्षा पर ध्यान देने के बजाय*, शिक्षक तकनीकी त्रुटियों में समय नष्ट कर रहे हैं।
7. *बार-बार OTP, Login, Logout की प्रक्रिया शिक्षकों के समय का दुरुपयोग करती है।*
8. *प्रेरणा ऐप का सर्वर कई बार डाउन रहता है*, जिससे कोई लॉगिन ही नहीं कर पाता।
9. *प्रेरणा ऐप में अनावश्यक अनुमतियाँ (permissions)* शिक्षक की निजता का उल्लंघन करती हैं।
10. *वेतन रोकने जैसी दंडात्मक प्रक्रिया शिक्षक को मानसिक तनाव देती है।*
11. *अक्सर शिक्षक अपनी ड्यूटी समय पर करते हैं, फिर भी ऐप में उपस्थिति न दिखे तो उन्हें दोषी माना जाता है।*
12. *प्रेरणा ऐप से डेटा चोरी/लीक की आशंका बनी रहती है।*
13. *मूल उद्देश्य "पढ़ाना" है, न कि “मोबाइल ऑपरेट करना”।*
14. *बिजली की समस्या वाले क्षेत्रों में टैबलेट चार्ज करना भी चुनौती है।*
15. *डिजिटल उपस्थिति एकतरफा जवाबदेही थोपती है, जबकि विभागीय अधिकारी के लिए कोई ऐसी प्रणाली नहीं है।*
16. *रोजाना डिजिटल उपस्थिति शिक्षक को 'कर्मचारी' की तरह व्यवहार करने को मजबूर करती है, 'गुरु' की गरिमा समाप्त होती है।*
17. *रोजाना प्रार्थना, P.T., खेल, लाइब्रेरी, MDM, शैक्षिक गतिविधियाँ पहले से ही शिक्षकों पर भार हैं।*
18. *डिजिटल उपस्थिति में किसी भी तकनीकी कारण से अनुपस्थिति दर्शा दी जाती है*, जिससे बेवजह स्पष्टीकरण मांगा जाता है।
19. *प्रेरणा ऐप की गिनती के नाम पर MDM, Enrollment, और अन्य प्रविष्टियाँ शिक्षक को क्लर्क बना देती हैं।*
20. *महिलाओं को सुबह जल्दी आने में पारिवारिक चुनौतियाँ होती हैं, डिजिटल समयबद्धता उन पर दबाव बनाती है।*
21. *शिक्षकों के विरुद्ध छोटी त्रुटियों पर निलंबन/वेतन रोक जैसे आदेश अनुचित दबाव उत्पन्न करते हैं।*
22. *शिक्षक को हर समय GPS ट्रैक किया जाना निजता के अधिकार का हनन है।*
23. *शिक्षा की गुणवत्ता पर इसका कोई सीधा प्रभाव सिद्ध नहीं हुआ है।*
24. *सभी विद्यालयों में स्मार्टफोन, पावर बैकअप, नेटवर्क उपलब्ध नहीं है।*
25. *शिक्षकों के पास टेक्निकल सपोर्ट की व्यवस्था नहीं है।*
26. *विद्यालय भवन/प्रांगण में नेटवर्क न होने से शिक्षक को बाहर जाकर उपस्थिति लगानी पड़ती है।*
27. *डिजिटल उपस्थिति पर अधिक ज़ोर देने से वास्तविक कार्य जैसे पठन-पाठन पीछे छूट जाते हैं।*
28. *प्रेरणा ऐप केवल एक निगरानी ऐप बन चुका है, जिससे शिक्षक अपमानित महसूस करते हैं।*
29. *कई जगह प्रेरणा ऐप ऐपल डिवाइस या कुछ Android वर्जन में चलता ही नहीं।*
30. *शिक्षकों के कार्य की ईमानदारी तकनीकी उपस्थिति से नहीं, उनके शिक्षण कार्य से आंकी जानी चाहिए।*
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*निष्कर्ष*:
डिजिटल उपस्थिति का उद्देश्य *गुणवत्ता में सुधार* नहीं बल्कि *निगरानी व दंड* बन गया है। यह शिक्षक-छात्र के बीच के पवित्र रिश्ते में बाधा डालता है। अतः प्राथमिक विद्यालयों में इसे बंद करना या पुनः विचार करना अत्यावश्यक है।

