केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त कर एक नया कानून बनाने की तैयारी में है। इस बाबत सरकार जल्द लोकसभा में नया विधेयक पेश कर सकती है। इसका नाम ‘विकसित भारत, रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन(ग्रामीण)’यानी ‘विकसित भारत, जी राम जी विधेयक, 2025’ होगा।
विकसित भारत, जी राम जी विधेयक की प्रति लोकसभा सदस्यों को वितरित कर दी गई है। सरकार ने लोकसभा की संशोधित कार्य सूची में विधेयक को शामिल किया था, पर विधेयक को पेश नहीं किया गया। माना जा रहा है कि सरकार मंगलवार को यह विधेयक पेश कर सकती है।
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मनरेगा ने 20 वर्ष से अधिक समय तक ग्रामीण परिवारों को रोजगार की गारंटी दी है। अब इस योजना को और मजबूत करना जरूरी हो गया है। मनरेगा में जहां आजीविका सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान था, वहीं नया विधेयक विकसित भारत के साथ तालमेल बैठाते हुए एक आधुनिक वैधानिक ढांचा स्थापित करता है। यह हर ग्रामीण परिवार को मनरेगा में 100 की जगह 125 दिनों की वेतन रोजगार की गारंटी देता है।
...इसलिए पड़ी बदलाव की जरूरत
मनरेगा में कई समस्याएं थी, जिसकी वजह से बदलाव की जरूरत है। वर्ष 2024-25 में राज्यों में कुल 193.67 करोड़ का गबन हुआ। वहीं, 2025-26 में 23 राज्यों की मॉनिटरिंग से पता चला कि काम या तो नहीं हुए या खर्च से हिसाब से नहीं किए गए। जांच में पाया गया कि जहां मजदूरों की जरूरत थी, वहां मशीनों का इस्तेमाल हुआ। हाजिरी को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया।
लोकसभा में ये विधेयक किए गए पेश
1. विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक
2. परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी देने संबंधी विधेयक
3. उपयोगिता खो चुके 71 कानूनों को रद्द करने का विधेयक भी पेश
नाम बदलने का विपक्षी दलों ने किया विरोध
नई दिल्ली, । विपक्ष ने मनरेगा के स्थान पर नया कानून बनाने की तैयारी के बीच सोमवार को कहा कि आखिर इस योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। प्रतिपक्ष ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार का यह कदम महात्मा गांधी का अपमान है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसका मकसद क्या है। पार्टी के कई दूसरे नेताओं ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि मनरेगा का नाम बदलने की कोशिश भाजपा और संघ का षड्यंत्र है। कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने भी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। तृणमूल कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने सरकार के इस कदम को महात्मा गांधी का अपमान बताया।
प्रस्तावित बिल में ये हैं प्रमुख प्रावधान
विधेयक का लक्ष्य
● चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के माध्यम से रोजगार और टिकाऊ ग्रामीण बुनियादी ढांचा बनाना।
● पानी से संबंधित कार्यों के माध्यम से जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण बुनियादी ढांचा, आजीविका से जुड़ा बुनियादी ढांचा व अत्यधिक मौसम की घटनाओं को कम करने के लिए विशेष कार्य
● अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वर्ष में 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की कानूनी गारंटी के साथ मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या कार्य पूरा होने के 15 दिनों में किया जाएगा
● यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया गया तो बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान भी है।
● खेती-बाड़ी के समय में (अधिकतम 60 दिन प्रतिवर्ष) इस योजना के तहत कार्य नहीं कराए जाएंगे, हालांकि प्राकृतिक आपदा या असाधारण परिस्थितियों में इसमें छूट दी जा सकेगी।
● बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण, जियो टैगिंग, डिजिटल एमआईएस डैशबोर्ड, साप्ताहिक सार्वजनिक खुलासे और सामाजिक अंकेक्षण अनिवार्य होगा
● शिकायत निवारण के लिए
● बहुस्तरीय व्यवस्था और जिला स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति का भी प्रावधान।

