भीषण गर्मी के चलते परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति महज 37 फीसदी


रायबरेली। जिले के परिषदीय विद्यालयों का हाल अच्छा नहीं है। खासकर ग्रीष्मावकाश के बाद खुले स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बहुत कम है। उपस्थिति बढ़ाने में अध्यापक कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। विभागीय अफसर भी लापरवाही बरत रहे हैं। बच्चों की उपस्थिति को लेकर राज्य स्तर पर सूची जारी होने के बाद विभागीय अफसर परेशान हैं। अपने जिले की स्थिति बहुत खराब है।


आईवीआरएस के जरिए परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रोजाना दर्ज होती है, जिसकी रिपोर्ट बताती है कि 3 से 19 जुलाई तक बच्चों की उपस्थिति 51.38 फीसदी रही। राज्य स्तर की सूची आने के बाद आईवीआरएस की रिपोर्ट तैयार की गई। इसमें प्राइमरी स्तर के बच्चों की उपस्थिति 55.94 तो जूनियर स्तर के बच्चों की उपस्थिति 46.82 फीसदी रही। सबसे खराब स्थिति सतांव, अमावां, राही, बछरावां, सलोन और डीह विकास क्षेत्र में पाई गई, जहां बच्चों की औसत उपस्थिति 50 फीसदी से कम मिली। लालगंज और सरेनी विकास क्षेत्रों में बच्चों की उपस्थिति 60 फीसदी से अधिक रही। उपस्थिति 60 फीसदी से अधिक करने के लिए सभी बीईओ को एक हफ्ते का समय दिया गया है।

जिले के 2301 विद्यालयों में लगभग 2.40 लाख बच्चे पढ़ते हैं। ग्रीष्मावकाश के बाद 3 जुलाई को परिषदीय विद्यालय खुले। स्कूलों के खुलने से 19 जुलाई तक बच्चों की हाजिरी का आंकड़ा राज्य स्तर पर जारी किया गया है। इसमें जिले की औसत उपस्थिति 37 फीसदी दिखाई गई है। बच्चों की सबसे कम उपस्थिति वाले प्रदेश के 10 जिलों में रायबरेली शामिल है। बच्चों की उपस्थिति का यह आंकड़ा प्रेरणा पोर्टल से तैयार किया गया है। परिषदीय स्कूलों का निरीक्षण बीएसए, बीईओ, डीसी करते हैं। एआरपी भी अनुश्रवण करने के लिए जाते रहते हैं। इन सभी को प्रेरणा पोर्टल पर अपनी रिपोर्ट दर्ज करनी होती है। इसमें बच्चों की उपस्थिति भी दिखाई जाती है। यानी कि 3 से 19 जुलाई तक स्कूलों में निरीक्षण एवं अनुश्रवण के दौरान जितने भी स्कूल देखे गए, उनकी औसत उपस्थिति 37 फीसदी मिली।