अल्पसंख्यक कॉलेजों में अलग से जारी होगा शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन, नया शिक्षा सेवा चयन आयोग ही करेगा भर्ती, पर अलग कराई जाएगी परीक्षा


प्रयागराज । प्रदेश के अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती तो नया शिक्षा सेवा चयन आयोग ही करेगा, लेकिन यह भर्ती अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों से अलग होगी। इसका विज्ञापन अलग से जारी किया जाएगा, परीक्षा भी अलग होगी और इंटरव्यू बोर्ड में अल्पसंख्यक समुदाय से ही किसी एक्सपर्ट को शामिल किया जाएगा।


नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन से पहले अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती का खाका तैयार किया जा चुका है। अब तक अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पास थी, जबकि अल्पसंख्यक कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती कॉलेज का प्रबंधन करता था।

अब अशासकीय महाविद्यालयों और अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती की जिम्मेदारी नए शिक्षा सेवा आयोग के पास होगी। प्रदेश में कुल 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय हैं, जिनमें 21 अल्पसंख्यक महाविद्यालय हैं और बाकी 311 सामान्य महाविद्यालय हैं। नए आयोग के गठन के बाद भी अल्पसंख्यक महाविद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया अलग से पूरी की जाएगी।

नया आयोग अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती का विज्ञापन अलग से जारी करेगा। भर्ती परीक्षा भी अलग से आयोजित की जाएगी। इंटरव्यू बोर्ड में आयोग के सदस्य तो शामिल होंगे, लेकिन एक्सपर्ट अल्पसंख्यक समुदाय से ही लिए जाएंगे। प्रदेश के 21 अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में शिक्षकों के तकरीबन साढ़े पांच सौ पद हैं, जिनमें दो सौ से अधिक पद खाली हैं। अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में वर्ष 2012 के बाद से कोई भर्ती नहीं हुई है। कुछ कॉलेज तो महज तीन-चार शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं और बंद होने की कगार पर हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों पांच महाविद्यालयों को उच्च शिक्षा विभाग ने प्रबंधन स्तर से ही भर्ती की अनुमति दे दी।