69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों के आरक्षण मामले में निर्णय सुरक्षित


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के अभ्यर्थियों के आरक्षण की मांग में दाखिल याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सीनियर एडवोकेट जीके सिंह, अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी, सीमांत सिंह, इरशाद अली व अन्य वकीलों को सुनकर दिया है।



याचिकाओं के अनुसार 12 मई 2020 को 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 का परिणाम सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा जारी होने के बाद 16 मई 2020 को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने की दिशा में काउंसिलिंग के लिए अभ्यर्थियों से आवेदन की अधिसूचना जारी की, लेकिन इस अधिसूचना में ईडब्ल्यूएस श्रेणी अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था। इस पर ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 18 फरवरी 2019 को आगामी भर्तियों में ईडब्ल्यूएस को दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी शासनादेश जारी किया। उसके बाद 13 अगस्त 2019 को रोस्टर से संबंधित एक कार्यालय ज्ञाप जारी किया गया था, जिसमें कहा गया कि रोस्टर के अनुसार ईडब्ल्यूएस श्रेणी अभ्यर्थियों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।

याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जीके सिंह, एडवोकेट अनुराग त्रिपाठी, सीमांत सिंह, इरशाद अली व अन्य का कहना था कि 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया की अधिसूचना सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 16 मई 2020 को जारी की और 18 मई 2020 को गाइडलाइन जारी हुई जबकि उत्तर प्रदेश में ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने का प्रावधान फरवरी 2019 में ही आ गया था इसलिए ईडब्ल्यूएस श्रेणी अभ्यर्थियों को आरक्षण न देना संविधान के अनुच्छेद 14, 16 व 21 का उल्लंघन है।