17 February 2024

बड़ी बहन को छोटी का संरक्षक होने का हक नहीं


नई दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बड़ी बहन के पास छोटी बहन का संरक्षक बनने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, जबतक अदालत ने इस बारे में कोई आदेश पारित न किया हो।


शीर्ष अदालत ने महिला की ओर से छोटी बहन की पेशी के लिए दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए, यह टिप्पणी की। याचिका में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का बिना किसी राहत के निपटारा कर दिया था। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने महिला की अपील को खारिज करते हुए कहा कि ‘बड़ी बहन के पास छोटी बहन के संरक्षकता का कानूनी अधिकार नहीं है, जब तक कि सक्षम अदालत ने इस बारे में कोई आदेश पारित न किया हो।

पीठ ने यह भी कहा कि हमें नहीं लगता कि बंदी प्रत्यक्षीकरण की प्रकृति में राहत की मांग करने वाली रिट याचिका याचिकाकर्ता की शिकायत के लिए उचित कार्यवाही थी।’ हालांकि शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता महिला को छोटी बहन की संरक्षक बनने के लिए संबंधित अदालत में अर्जी दाखिल करने की छूट दे दी है। दरअसल, याचिकाकर्ता महिला ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर अपनी बहन को पेश करने का आदेश देने की मांग की।