प्रदेश सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंतर्गत गरीब और वंचित तबके के 1,06,592 बच्चों का निजी विद्यालयों में मुफ्त नामांकन सुनिश्चित किया है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता को मजबूती मिली है और हजारों गरीब परिवारों के सपनों को पंख मिले हैं।
सरकार का मानना है कि धन के अभाव में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस अभियान को मजबूती से लागू किया गया, ताकि वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का समान अवसर मिल सके और वे आत्मनिर्भर, सशक्त नागरिक बन सकें।
मुख्यमंत्री ने पहले भी कई मंचों से स्पष्ट किया है कि ‘गरीब का बच्चा भी डॉक्टर, इंजीनियर या अफसर बनने का सपना देख सके, इसके लिए राज्य सरकार हर आवश्यक कदम उठा रही है।’ इस पहल के तहत आरटीई को प्रभावी बनाना और निजी विद्यालयों में गरीब बच्चों को दाखिला दिलाना एक बड़ा सामाजिक सुधार माना जा रहा है। यह प्रयास सिर्फ शिक्षा के आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक आत्मनिर्भर, सशक्त उत्तर प्रदेश की दिशा में बड़ा कदम है। शिक्षा के माध्यम से गरीबी की जंजीरों को तोड़ने की यह पहल आने वाले वर्षों में राज्य की सामाजिक-आर्थिक तस्वीर बदलने की कहानी बयां करती है।
चार चरणों में चली प्रक्रिया की यह रही प्रगति
यह प्रक्रिया चार चरणों में सम्पन्न हुई। इन चारों चरणों के तहत कुल 3,34,953 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 2,52,269 स्वीकृत हुए और 1,85,675 बच्चों का विद्यालयों के लिए आवंटन कर दिया गया। अब तक इन आवंटनों के सापेक्ष कुल 1,06,592 बच्चों का नामांकन सफलतापूर्वक कराया जा चुका है।
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि योगी सरकार की प्राथमिकता है कि उत्तर प्रदेश का हर बच्चा, चाहे वह किसी भी वर्ग या पृष्ठभूमि से आता हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का हकदार बने। आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निजी विद्यालयों में दाखिला दिलाना केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमारा लक्ष्य है कि ये बच्चे शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बनें और नए उत्तर प्रदेश के निर्माण में भागीदार बनें।
ऐसा रहा चरणवार ब्यौरा
पहला चरण (1–20 दिसंबर 2024): 1,32,446 आवेदन, 1,03,058 स्वीकृत, 71,381 आवंटित।
दूसरा चरण (1–20 जनवरी 2025): 95,590 आवेदन, 71,015 स्वीकृत, 50,638 आवंटित।
तीसरा चरण (1–20 फरवरी 2025): 60,391 आवेदन, 44,592 स्वीकृत, 35,452 आवंटित।
चौथा चरण (1–20 मार्च 2025): 46,526 आवेदन, 34,604 स्वीकृत, 28,204 आवंटित।
सबसे आगे हैं ये जिले
नामांकन के मामले में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रदेश के 10 जिलों ने राज्य में अभियान की सफलता की कहानी लिखी है और दिखाया है कि सरकार और प्रशासनिक तंत्र की सक्रियता से किस प्रकार नीतियों को ज़मीन पर प्रभावी ढंग से उतारा गया है। इन जिलों में बस्ती, हरदोई, एटा, बलरामपुर, बदायूं, श्रावस्ती, देवरिया, ललितपुर, महोबा और जौनपुर शामिल हैं।
टॉप-10 जिलों ने इतने प्रतिशत बच्चों को दिलाया प्रवेश
बस्ती — 93% प्रवेश सुनिश्चित कर पहले स्थान पर।
हरदोई — 90% के साथ दूसरा स्थान।
एटा — 88% के साथ तीसरा स्थान।
बलरामपुर, बदायूं, श्रावस्ती — 87% के साथ चौथे स्थान पर।
देवरिया — 86%।
ललितपुर, महोबा — 84%।
जौनपुर — 83%।