अमरावती, एजेंसी। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने रविवार को दोहराया कि वह अभी भी अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर के बहिष्कार के पक्ष में हैं। गवई '75 वर्षों में भारत और जीवंत भारतीय संविधान' नामक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
सीजेआई ने कहा, आरक्षण के मामले में एक आईएएस अधिकारी के बच्चों की तुलना एक गरीब खेतिहर मजदूर के बच्चों से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर की अवधारणा, जैसा इंद्रा साहनी (बनाम भारत संघ एवं अन्य) फैसले में पाया गया है, लागू होनी चाहिए। यानी जो फैसला अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर लागू होता है, वही एससी पर भी लागू होना चाहिए। हालांकि, इस मुद्दे पर उनके फैसले की आलोचना हुई थी।
संविधान के कारण संभव
सीजेआई ने कहा कि यह संविधान के कारण ही संभव है कि भारत में अनुसूचित जातियों में से दो राष्ट्रपति हुए हैं और वर्तमान पदाधिकारी भी अनुसूचित जनजाति की एक महिला हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के चार स्तंभों पर खड़ा है।

