यूपी बोर्ड से 2013 में हाईस्कूल व 2015 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने वाली लखनऊ की एक लड़की अपना लिंग परिवर्तित कराकर लड़का बन गई। उसने सभी औपचारिकता पूरी करते हुए यूपी बोर्ड से संशोधित नाम के आधार पर 10वीं-12वीं का नया प्रमाणपत्र जारी करने का अनुरोध किया। इसके आधार पर बोर्ड ने 10वीं पास करने के 12 साल और 12वीं करने के दस साल बाद लड़के के नाम पर कुछ समय पहले प्रमाणपत्र जारी कर दिया है।
केस टू: यूपी बोर्ड के बरेली क्षेत्रीय कार्यालय ने भी लिंग परिवर्तन कर पुरुष बनी एक महिला का संशोधित प्रमाणपत्र हाल ही में जारी किया है। पहले क्षेत्रीय कार्यालय ने संशोधित प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार कर दिया था। जिस पर उसने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी। कोर्ट ने बोर्ड के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता के शैक्षिक दस्तावेजों में आवश्यक संशोधन कर नए प्रमाण-पत्र जारी करने के आदेश दिए थे।
यूपी बोर्ड अपनी दशकों पुरानी व्यवस्था में अहम बदलाव करते हुए अब लिंग परिवर्तन करवाने वाले परीक्षार्थियों के प्रमाणपत्र संशोधित नाम के साथ जारी करने लगा है। 1921 में स्थापित यूपी बोर्ड के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब पूर्व में लड़के या लड़की के रूप में परीक्षा पास करने वाले परीक्षार्थियों को लिंग बदलकर लड़की या लड़के के नाम से प्रमाणपत्र जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के 17 अक्तूबर 2025 के आदेश पर बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने बकायदा सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिवों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को 28 नवंबर को निर्देश भी जारी किए हैं। साथ ही सभी शिक्षण संस्थाओं में ट्रांसजेंडर छात्रों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और समावेशी वातावरण सुनिश्चित करने को कहा है ताकि किसी प्रकार के उत्पीड़न और भेदभाव को रोका जा सके।
डीएम की रिपोर्ट पर होता है अभिलेखों में संशोधन: लिंग परिवर्तन करवाने वाले महिला/पुरुष को जिलाधिकारी प्रमाणपत्र जारी करते हैं। इसके लिए मेडिकल बोर्ड बैठाकर चिकित्सकीय जांच कराई जाती है और फिर डीएम की ओर से प्रमाणपत्र जारी होता है। उसके आधार पर यूपी बोर्ड के प्रमाणपत्र में ही नहीं अन्य दस्तावेजों जैसे आधार, पैन आदि में संशोधन का भी प्रावधान है।
पहले निरस्त हो जाते थे लिंग परिवर्तन के आवेदन
इससे पहले लिंग परिवर्तन के आधार पर संशोधित प्रमाणपत्र जारी करने के आवेदन यूपी बोर्ड से निरस्त हो जाते थे। 2017 में पुरुष से महिला बने लखनऊ के एक परीक्षार्थी ने 2011 में जारी हाईस्कूल के प्रमाणपत्र में नाम परिवर्तित करने का अनुरोध किया था। हालांकि कोई प्रावधान नहीं होने के कारण यूपी बोर्ड के अफसरों ने संशोधित प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार कर दिया था।

