15 May 2025

मूल्यांकन में अनुपस्थित रहे परीक्षकों को साक्ष्य सहित बताना होगा कारण

 

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं की कॉपियों के मूल्यांकन में गैरहाजिर रहे परीक्षकों को अपनी अनुपस्थिति का कारण भी बताना होगा। बोर्ड ने पूर्व निर्धारित समय के अनुरूप मूल्यांकन कार्य करा लिया था।



19 मार्च से दो अप्रैल तक चले मूल्यांकन कार्य के लिए एक लाख 41 हजार 510 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी। मूल्यांकन के पहले दिन 73 हजार 951 परीक्षकों (52.27 फीसदी) ने उपस्थिति दर्ज कराई थी, जबकि 67559 परीक्षक अनुपस्थित थे।


बाद के दिनों में कुछ अनुपस्थित शिक्षक कॉपियों जांचने पहुंचे और केंद्रों में नियमित रूप से मौजूद रहे परीक्षकों ने 15 दिनों में कुल तीन करोड़ एक लाख 48 हजार 236 कॉपियों का मूल्यांकन पूरा कर लिया था।


बोर्ड अब अनुपस्थित रहे परीक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि राजकीय व एडेड विद्यालयों से परीक्षकों की उपस्थिति तो 90 फीसदी के आसपास रही लेकिन निजी विद्यालयों से नियुक्त किए गए परीक्षकों की गैरहाजिरी ज्यादा रही।


बोर्ड के सचिव ने एक मई को सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों व


यूपी बोर्ड के सचिव ने एक हफ्ते का दिया था समय

मूल्यांकन केंद्रों के उपनियंत्रकों/प्रधानाचार्यों से एक सप्ताह में अनुपस्थित रहे परीक्षकों के बारे में जानकारी तलब की थी।


बोर्ड ने अनुपस्थित रहे उप प्रधान परीक्षक/परीक्षा का नाम, परीक्षा संख्या, विषय, विद्यालय का नाम और सुसंगत साक्ष्यों सहित अनुपस्थिति का कारण पूछा है। सूत्रों का कहना है कि अनुपस्थित रहे परीक्षकों की संख्या 50 हजार के आसपास है।


ऐसे में हर जिले से जानकारी अभी इकट्ठा नहीं की सकी है। बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया, इस हफ्ते सभी जिलों से रिपोर्ट आ जाने की उम्मीद है। 



नौकरी छोड़कर गए शिक्षकों की ड्यूटी लगने की आशंका

बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि जुलाई-अगस्त में निजी विद्यालयों में नए शिक्षक ज्वाइन करते हैं और प्रबंधन से विवाद के बाद कुछ माह बाद नौकरी छोड़ देते हैं, लेकिन उनके नाम की लिस्ट वेबसाइट पर पड़ी रह जाती है और इसी लिस्ट के हिसाब से मूल्यांकन में उनकी ड्यूटी लग जाती है। यही वजह है कि मूल्यांकन में ज्यादातर निजी विद्यालयों के शिक्षक अनुपस्थित रहे।