प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम के चेयरमैन से व्यक्तिगत हलफनामा मांगते हुए पूछा कि उनके अधिकारी व अधिवक्ता का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार क्यों कर रहे हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने भारतीय जीवन बीमा निगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में स्थायी लोक अदालत के आदेश की वैधता को चुनौती दी गई है। स्थायी लोक अदालत ने मेघश्याम शर्मा के पक्ष में 74508 रुपये सात फीसदी ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया है और वाद खर्च के रूप में पांच हजार रुपये भी देने को कहा है।
इस मामले में दाखिल याचिका निगम के अधिकारी रामबाबू सिंह ने हलफनामा लगा है जिसमें वह किस पद पर कार्यरत हैं, इसका उल्लेख नहीं किया, जो बाध्यकारी है। जब पूछा गया कि पद नाम क्यों नहीं लिखा तो निगम के अधिवक्ता ने कहा कि हर पृष्ठ पर हस्ताक्षर के साथ पदनाम की मुहर लगी है जो हलफनामे का हिस्सा है। उसे स्वीकार किया जाए। इतना ही नहीं पूरक हलफनामे में एक निर्णय संलग्न करने का उल्लेख है लेकिन ढूंढने पर वह निर्णय हलफनामे में कहीं नहीं मिला। लगता है बिना देखे हलफनामा दाखिल कर दिया गया है, जो निंदनीय है। कोर्ट ने चेयरमैन को अगली सुनवाई की तारीख 21 मई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मेघश्याम वर्मा ने पांच बीमा लिया था।