लखनऊ, । प्रदेश के 2300 स्पेशल टीचरों की दो स्तरीय जांच होगी। इसके तहत पहले चरण में स्पेशल टीचरों की जिलाधिकारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी की सदस्यता वाली टीम प्रत्येक स्पेशल टीचर की शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण सर्टिफिकेटों की जांच करेंगी। साथ ही उनकी नियुक्ति, योग्यता, डिग्री, व दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने की दक्षता भी यह टीम जांच करेगी। दूसरे चरण में राज्य स्तर पर सभी का सत्यापन बेसिक शिक्षा विभाग करेगा और विशेष अध्यापक पात्रता परीक्षा भी लेगा।
पिछली सरकारों के कार्यकाल में बड़ी संख्या में अयोग्य स्पेशल टीचरों की भर्ती किए जाने की शिकायतों की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर जांच करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने की कोशिश की थी। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ द्वारा इसका खुलासा किया गया था। इसके बाद बनी स्क्रीनिंग कमेटी ने दो दिन पूर्व रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
कमेटी की संस्तुति
दूसरे चरण की स्क्रीनिंग में एक वर्ष के भीतर स्पेशल टीचरों की दक्षता के लिए एक वर्ष में दो बार विशेष अध्यापक पात्रता परीक्षा का आयोजन एनसीटीई करेगी। स्पेशल टीचर की सेवा अवधि को देखते हुए उन्हें विशेष अध्यापक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग किए जाने के लिए 60 वर्ष तक की उम्र की छूट दी गई है जो की शायद प्रदेश ही नहीं देश में पहली बार होगा।