लखनऊ। गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था को सशक्तिकृत करते हुए अब कड़ी निगरानी की रणनीति अपनाई गई है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी। इसके लिए माता-पिता व बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य रहेगा। पूर्व प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश की आयु सीमा 3 से 6 वर्ष और कक्षा-1 के लिए 6 से 7 वर्ष तक कर दी गई है। पहली बार जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति गठित की गई है। इस समिति में सभी सम्मिलित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी सदस्य होंगे जो पूरी प्रक्रिया पर नजर रखेंगे। प्रवेश, आवेदन व प्रक्रिया के दौरान सामने आने वाली शिकायतों व विवादों की तत्काल निपटान के लिए अध्यक्षता डीएम द्वारा सदस्यीय विवाद समाधान समिति करेगी। महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) ने प्रवेश व अनिवार्य प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रशासनिक अधिकारियों व सभी निजी स्कूलों को आरटीई पोर्टल एवं यू-डायस पोर्टल पर अपडेट हुए अपार आईडी बनाने के निर्देश दिए हैं।
प्रवेश न देने पर स्कूल की मान्यता होगी रद्द
फर्जी दस्तावेजों से प्रवेश की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नहीं देने वाले विद्यालयों की मनमानी पर भी निगरानी कसा गया है। अगर स्कूल किसी छात्र को आवेदन देने में टालमटोल करता है तो संबंधित विद्यालय की मान्यता तक रद्द की जा सकती है।
सरकार की ये पहल शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। अब कोई भी गरीब बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। यह सरकार की सर्वश्रेष्ठ प्राथमिकता है। सभी को अवसर मिले। - संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)