सरकार ने केंद्रीय कर्मियों की पेंशन से जुड़े संबंधी नियमों को लेकर महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने स्पष्ट किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिवार को सात साल या कर्मचारी की 67 साल की उम्र तक (जो पहले हो) ही बढ़ी हुई दर पर पारिवारिक पेंशन मिलेगी।
इसके बाद सामान्य दर पर पेंशन जारी होगी। यह नियम सभी कर्मचारियों पर लागू होगा, चाहे वह किसी भी उम्र में सेवानिवृत्त हुआ हो। वर्तमान में कुछ मंत्रालयों और विभागों में असमंजस बना हुआ था कि जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 65 साल निर्धारित है तो क्या उनके आश्रितों को भी 67 वर्ष की आयु तक बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी या उससे अधिक समय तक मिल सकती है।
इसी भ्रम को दूर करने के लिए विभाग ने इस संबंध में विस्तृत स्पष्टीकरण आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि डॉक्टर, प्रोफेसर, वैज्ञानिकों और वरिष्ठ अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 65 साल है।
पेंशन का वरीयता क्रम
1. सबसे पहला हक दिवंगत कर्मचारी की पत्नी या पति का है। इसमें सेवानिवृत्ति के बाद हुई शादी या न्यायिक रूप से अलग हुए पति-पत्नी भी शामिल हैं।
2. इसके बाद बच्चों को हक रहेगा। इनमें गोद लिए हुए और सौतेले बच्चे भी शामिल होंगे।
3. फिर आश्रित माता-पिता को। अंत में मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम भाई-बहनों का हक रहेगा।
माता-पिता को देना होगा जीवन प्रमाणपत्र
नए नियमों के अनुसार, मृतक कर्मचारी के माता-पिता को बढ़ी हुई दर पर पेंशन मिलती रहे, इसके लिए उन्हें जीवन प्रमाणपत्र देना जरूरी होगा। बढ़ी हुई पेंशन, जो आखिरी सैलरी का 75% है, अब तभी दी जाएगी जब माता-पिता दोनों जिंदा होंगे। एक माता-पिता की मृत्यु होने पर, पेंशन अपने आप 60% हो जाएगी।
क्या है पेंशन की बढ़ी हुई दर
नियमानुसार, यदि पेंशनभोगी की मृत्यु 67 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले हो जाती है तो उसके आश्रितों को तय सामान्य दर से अधिक पारिवारिक पेंशन मिलती है। यह बढ़ी हुई दर परिस्थितियों के अनुसार अंतिम वेतन का 50 फीसदी से अधिक हो सकती है। उपरोक्त अवधि के बाद सामान्य दर लागू होती है, जो 30 फीसदी तक हो सकती है। 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति होने वालों पर भी यह नियम लागू रहेगा।
दो पत्नी के मामले में भी नियम स्पष्ट
यदि कर्मचारी हिन्दू विवाह अधिनियम-1955 के दायरे में आता है और पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करता है, तो यह शादी अवैध मानी जाएगी। ऐसे मामलों में दूसरी पत्नी को पेंशन का हक नहीं मिलेगा। सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों में फैसला लेने से पहले कानूनी सलाह जरूर लें।

