जर्जर स्कूल भवनों में नहीं होगी पढ़ाई
लखनऊ,। सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि स्कूलों के जर्जर भवनों में या उसके करीब किसी भी प्रकार के शैक्षणिक कार्य नहीं कराए जाएंगे। चिन्हांकित जर्जर या निष्प्रयोज्य ढांचे जिनके सत्यापन, मूल्यांकन, नीलामी, ध्वस्तीकरण की कार्यवाही किन्हीं कारणों से अब तक पूर्ण नहीं हो पाई है, ऐसे भवनों के चारों ओर के बाहरी दीवारों पर मध्य में बड़े-बड़े अक्षरों में लाल रंग के पेंट से दूर से ही पठनीय हिन्दी में ‘निष्प्रयोज्य शब्द अंकित कराने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा है कि परिषदीय विद्यालय परिसरों में अवस्थित जीर्ण-शीर्ण ढांचों का निरन्तर निरीक्षण कराते हुए चिन्हांकन बाद तकनीकी समिति से सत्यापन कराने की सतत् प्रक्रिया पिछले कई वर्षों से जारी है। गठित समिति द्वारा नियमित तौर पर जर्जर के रूप में सत्यापित ढांचों का युद्धस्तर पर ध्वस्तीकरण कराते हुए पुनर्निर्माण कार्य कराया जाता है। यदि विद्यालय की छत, दीवार अथवा अन्य बड़ी मरम्मत कराने की जरूरत है तो वहां सुदृढ़ीकरण कराया जा रहा है।
दो वर्षों में 1835 परिषदीय विद्यालयों का पुनर्निर्माण
बीते दो वर्षों में 283 करोड़ रुपये की धनराशि से 1835 परिषदीय विद्यालयों का पुनर्निर्माण कार्य कराया गया है और 24 करोड़ रुपये की धनराशि से 578 विद्यालयों में वृहद मरम्मत कार्य कराते हुए विद्यालयों को शैक्षणिक कार्य के लिए उपयुक्त बनाया जा चुका है। वर्तमान वर्ष में 106 करोड़ रुपये की धनराशि से 557 विद्यालयों का पुनर्निर्माण तथा 45 करोड़ रुपये की धनराशि से 1033 विद्यालयों में मरम्मत का कार्य कराया जा रहा हैं। अगर विद्यालय भवन सुरक्षित नहीं हैं तो बच्चों को अन्य सुरक्षित स्थानों, निकटतम परिषदीय विद्यालय, पंचायत भवन में वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।