कन्नौज। सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कह रही है पर बेसिक शिक्षा विभाग में यह पूरी तरह हावी है। पिछले सात साल से परिषदीय स्कूलों के शिक्षक एरियर के लिए भटक रहे हैं। बाबू अभिलेखों का सत्यापन न होने की बात कहकर टरका देते हैं। इस मामले पर जिम्मेदार अधिकारी अंजान बने हैं। वहीं, शिक्षकों का कहना है कि एरियर भुगतान पर कमीशन का खेल चलता है। सुविधा शुल्क न देने पर टरका दिया जाता है, जिसमें ग्रांट न होने और अभिलेखों का सत्यापन न होने के कारण बताए जा रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2015 में 72 हजार, वर्ष 2018 में 68,500 तथा वर्ष 2020 में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की गई थी। इसके तहत जिले में कई शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। अभिलेखों का सत्यापन होने के बाद इन शिक्षकों का वेतन भुगतान किया जाता है तो शेष माह का एरियर बनाकर विभाग शिक्षकों को भुगतान करता है। इन भर्तियों में शामिल 250 शिक्षकों का एरियर अब भी लंबित है। इसके विपरीत कई शिक्षक नौकरी लगने के बाद ही एरियर प्राप्त कर चुके हैं।
शिक्षकों की माने तो बेसिक शिक्षा विभाग में एरियर के भुगतान को लेकर कमीशनबाजी का खेल चल रहा है। इसमें 10 प्रतिशत खुलेआम लिया जा रहा है। इसके बाद ही आदेश होता है और एरियर निर्गत किया जाता है। जो शिक्षक कमीशन नहीं देते हैं तो उनके अभिलेखाें का सत्यापन न होने की बात कहकर टरका दिया जाता है। 69 हजार शिक्षक भर्ती का पटल देख रहे बाबू बिजेंद्र कुमार का कहना है कि जिन शिक्षकों का एरियर नहीं निकला है, उनका सत्यापन अभी नहीं हुआ है। बिना सत्यापन के बीएसए आदेश नहीं कर रहे हैं। डीएम आशुतोष मोहन अग्निहोत्री का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग में सात साल से एरियर का भुगतान न होना गंभीर मामला है। इस बारे में बीएसए और लेखाधिकारी से रिपोर्ट तलब की जाएगी। लापरवाही मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
बीएसए ने दी सफाई
बीएसए संदीप कुमार ने बताया कि आजकल सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है। सत्यापन जिनका मिलता जा रहा है, उनका एरियर निर्गत किया जा रहा है। 69 हजार भर्ती के अभी करीब 70 सत्यापन लंबित हैं, जिन्हें संबंधित यूनीवर्सिटी को भेज दिया गया है। कमीशनबाजी का आरोप गलत है। यदि कोई बाबू ऐसा कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।