इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि वायुसेना शिक्षा प्रमाण पत्र (आईएएफ) इंटरमीडिएट के समकक्ष माना जाएगा। इस संबंध में पहले भी अदालतें फैसला दे चुकी हैं। कोर्ट ने वायुसेना शिक्षा प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षक की सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अधिकारियों ने संबंधित दस्तावेज और कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है। हालांकि कोर्ट ने शिक्षक के सेवानिवृत्त होने की आयु के मद्देनजर उनकी बहाली का आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर ली है ऐसे में उन्हें बहाल करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।
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कोर्ट ने एक अगस्त 2013 से 30 सितंबर 2014 तक के वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया, क्योंकि इस अवधि में शिक्षक ने बिना वेतन काम किया था। साथ ही 2.5 लाख रुपये मुआवजा भी देने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमेशेरी की पीठ ने बन्ना लाल की याचिका पर दिया। प्रयागराज निवासी बन्ना लाल 1971 में वायुसेना में भर्ती हो गए। सेवा के दौरान ही उन्होंने वायु सेना मुख्यालय नई दिल्ली से आईएएफ शिक्षा टेस्ट पास किया। 1992 में उन्होंने कलकतिया विवि आंध्र प्रदेश से स्नातक किया। 2007 में सेवानिवृत्त होने के बाद बीएड किया। 2010-12 में बीटीसी ट्रेनिंग पूरा की। इसके बाद योग्यता के आधार पर वह 2013 में प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर चयनित हुए। 2014 में उनकी सेवा को इस आधार पर समाप्त कर दी गई कि आईएएफ शिक्षा इंटरमीडिएट के बराबर नहीं है। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद आईएएफ शिक्षा को इंटरमीडिएड के समकक्ष मानते हुए सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द कर दिया।