नई दिल्ली। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से आठवीं कक्षा के छात्र अनिवार्य विषय में आर्ट एजुकेशन की पढ़ाई भी करेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 के आधार पर आठवीं कक्षा की आर्ट एजुकेशन की पाठयपुस्तक कृति तैयार कर ली है।
इसे चार भारों में थियेटर, म्यूजिक, डांस-मूवमेंट और विजुअल आर्ट को 19 अध्यायों में बांटा गया है। इसमें सभी राज्यों के प्राचीन गाने और नृत्य भी शामिल हैं। एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि
पाठ्यपुस्तक में 10वीं शताब्दी में कश्मीर के दार्शनिक व विद्धान अभिनव गुप्त का भरत मुनि के प्रसिद्ध ग्रंथ नाट्यशास्त्र पर अभिनवभारती नामक टीका और नाट्यशास्त्र के नवम रस यानी शांति रस का भी वर्णन है।
इसके अलावा ताल, कोन्नाकोल सोलकट्टू और स्वर, हिंदोस्तानी संगीत, सरस्वती प्रणाम, पारंपरिक व आधुनिक वाद्ययंत्र, पांडुलिपि, नाटक-नृत्य, गाने के प्रकार (अकेले और ग्रुप प्रस्तुति) आदि के बारे में बताया गया है
भक्ति, सूफी और प्रदेशों के गीत-संगीत : पुस्तक
में छठीं शताब्दी में लोगों को धर्म, समाज और शिक्षा से जागरूक करने वाले भक्ति मूवमेंट से जोड़ने वाले भजनों को शामिल किया गया है। इसमें उत्तर भारत से मीराबाई, तुलसीदास के अलावा शास्त्रीय संगीतकार व सखी संप्रदाय के संस्थापक हरिदास पुरानादारा, या स्वामी हरिदास के अलावा दक्षिण भारत के संतधारा संत कनकदास हैं। जबकि मध्यकालीन भारत के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, बाबा फरीद शामिल हैं, इसमें पंजाब, पश्चिमी भारत के सूफी गाने व नृत्य शामिल हैं।