प्रयागराज। एक परीक्षा संस्था (बोर्ड) से दूसरी परीक्षा संस्था में पंजीकृत होने पर छात्रों के सीखने के स्तर में विविधता देखने को मिलती है और उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता है। छात्रों को इस समस्या ने निजात दिलाने के लिए परख ने पहल की है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद व एनएसी परख के संयुक्त तत्वावधान में जीबी पंत संस्थान में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के तीसरे दिन परख की सीईओ इंद्राणी भादुड़ी ने क्वेश्चन पेपर टेंपलेट (क्यूपीटी) का विश्लेषण किया।
उन्होंने बताया कि मॉडल पेपर व ब्लू प्रिंट की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि वर्तमान में
देश में लगभग 60 परीक्षा संस्थाएं काम कर रहीं हैं। इनके प्रश्नों के प्रकार, उद्देश्य और कठिनाई के स्तर में विविधता पाई जाती है।
एनएसी परख का मुख्य उद्देश्य सभी बोर्ड की विविधता का सम्मान करते हुए उसे सुसंगत बनाने की कोशिश करने के साथ एक मानकीकृत प्रश्नपत्र ढांचा स्थापित
करना है। परीक्षा केंद्रित मानसिकता को कम करना, विभिन्न राज्यों के बोर्ड में मूल्यांकन में छात्रों की रटने की प्रवृत्ति को कम करते हुए उच्चतर चिंतन कौशल, पारदर्शिता, सीखने आदि बिंदुओं पर समझ विकसित करना है।
कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों द्वारा समूहवार अपने-अपने विषय के प्रश्नपत्रों की समीक्षा कराई गई ताकि कमियों को दूर किया जा सके। इससे पूर्व परख के रिसोर्स पर्सन ने होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एचपीसी) के संबंध में प्रतिभागियों से प्रश्न पूछकर यह जानकारी ली कि उन्होंने कार्यशाला में क्या सीखा। अपर सचिव (शोध) ने बताया कि स्व मूल्यांकन और सहपाठी आकलन में एचपीसी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण साबित होगी।
त्रिलोक सिंह की रचना पढ़ेंगे अब देशभर के विद्यार्थी
हाथरस। सासनी क्षेत्र के गांव नगला मिश्रिया में जन्मे साहित्यकार त्रिलोकी सिंह ठकुरेला की रचना एनसीईआरटी की कक्षा चार की वीणा किताब में शामिल कर ली गई है। अब देशभर के विद्यार्थी उनकी रचना को पढ़ेंगे। त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा रचित प्रार्थना 'ऐसा वर दो' राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा चार की हिंदी की पाठ्यपुस्तक '""'वीणा'"'" में शामिल की गई है। एनसीईआरटी की किताबें मुख्य रूप से बेसिक औश्र माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के अलावा केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई जाती हैं। कई राज्यों के शिक्षा बोर्ड भी इन किताबों को अपने कोर्स में शामिल करते हैं। संवाद