04 July 2025

शिक्षकों की भर्ती में धांधली विजिलेंस ने दर्ज किया केस, खुली जांच में तत्कालीन बीएसए समेत आठ दोषी

 लखनऊ :

सुलतानपुर के कादीपुर स्थित महाराणा प्रताप विद्यालय में दो सहायक अध्यापकों और एक लिपिक की भर्ती में धांधली पकड़ी गई है। सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की जांच में तत्कालीन बीएसए व खंड शिक्षा अधिकारी समेत आठ आरोपित दोषी पाए गए हैं। शासन के आदेश पर मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।



विद्यालय में वर्ष 2015 में दो सहायक अध्यापकों व एक लिपिक की भर्ती नियम विरुद्ध की गई थी। शासन ने मामले की शिकायत पर लगभग चार वर्ष पूर्व विजिलेंस जांच का आदेश दिया था। आरोप था कि विज्ञान विषय के शिक्षक के रिक्त पद के स्थान पर कला के शिक्षक की भर्ती की गई। पात्र अभ्यर्थियों की डिग्री व अन्य प्रपत्रों से छेड़छाड़ भी की गई। तीन पात्र अभ्यर्थियों की बीएससी की डिग्री को बीए की डिग्री दर्शाया गया और उन्हें साक्षात्कार के लिए भी नहीं बुलाया गया।


विजिलेंस की खुली जांच में सामने आया कि प्रबंध समिति में शामिल पदाधिकारियों के रिश्तेदारों को नौकरी देने के लिए लगभग 28 लाख रुपये





रिश्वत भी ली गई। तत्कालीन बीएसए रमेश कुमार यादव (सेवानिवृत्त) ने नौकरी के लिए प्रकाशित विज्ञापन का परीक्षण नहीं कराया गया था। बीएसए के अलावा तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी ओंकार सिंह (नामित पर्यवेक्षक), तत्कालीन प्रभारी प्रधानाध्यापक राजेन्द्र कुमार सरोज, प्रबंधक व अन्य नियम विरुद्ध अयोग्य अभ्यर्थी वीर विक्रम सिंह व रंजना सिंह की सहायक अध्यापक के पद पर तथा विजय विक्रम सिंह की लिपिक के पद पर नियुक्ति करने के दोषी पाए गए।


प्रबंध समिति के सदस्य अच्छेलाल सिंह ने अपनी पुत्रवधु रंजना सिंह व पौत्र विजय विक्रम के चयन से पूर्व पद से इस्तीफा दे दिया था। विजिलेंस ने आरोपित तत्कालीन बीएसए रमेश यादव, तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी ओंकार सिंह के अलावा राजेन्द्र कुमार सरोज, विजय बहादुर सिंह, हरिओम मिश्रा, रंजना सिंह, वीर विक्रम सिंह व विजय विक्रम सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।