परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में डीएड विशेष शिक्षा डिग्री के आधार पर चयनित तकरीबन पांच हजार शिक्षक बिना बालमन की दशा समझे पढ़ा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2014 से डीएड विशेष शिक्षा करने वाले अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक भर्ती में मान्य किया गया था। 68500 और 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के विज्ञापन में यह प्रावधान था
कि इन अभ्यर्थियों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त छह महीने का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा।
हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने दोनों भर्तियां पूरी होने के बाद प्रशिक्षण की कोई पहल नहीं की। प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड को अयोग्य करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद 69000 शिक्षक भर्ती के चयनित बीएड अभ्यर्थियों में हलचल बढ़ गई। सर्वोच्च न्यायालय ने आठ अप्रैल 2024 को बीएड योग्यता के आधार पर चयनित शिक्षकों की
नियुक्तियों को संरक्षित करते हुए एनसीटीई को निर्देशित किया था कि वह सालभर के अंदर छह माह के ब्रिज कोर्स को डिज़ाइन कर अधिसूचित करे। शिक्षा मंत्रालय को इसकी समग्र निगरानी का दायित्व सौंपा गया था।
एनसीटीई ने इसी साल आठ अप्रैल को बीएड के आधार पर चयनित शिक्षकों के लिए छह महीने के ब्रिज कोर्स की अधिसूचना तो जारी कर दी लेकिन डीएड के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों के प्रशिक्षण को लेकर अफसर गंभीर नहीं है। डीएड अभ्यर्थियों ने एनसीटीई से संपर्क किया तो उनसे राज्य सरकार से अनुरोध करने की सलाह दे दी गई। डीएड विशेष शिक्षा डिग्रीधारी शिक्षक भविष्य को लेकर चिंतित हैं कि कहीं उनकी नौकरी पर कोई संकट न आ जाए