प्रदेश के शिक्षामित्र साथियो के समक्ष,वास्तविकताओं के क्रम में,केवल सच


*प्रदेश के शिक्षामित्र साथियो के समक्ष,वास्तविकताओं के क्रम में,केवल सच।*
*【1-】* 68500 की भर्ती में करीब 10,000 शिक्षामित्र साथी अध्यापक बने थे, 6900 की भर्ती में भी लगभग,30 से 35 हज़ार शिक्षामित्र भाई-बहन, तब अध्यापक बन सकते हैं, जब 40-45 कट ऑफ पर भर्ती हो। हाल-फ़िलहाल जिसके लिए सुप्रीमकोर्ट में संघर्ष गतिमान है, विचारणीय है, वर्तमान में जो संघर्ष माननीय उच्चतम न्यायालय,(सुप्रीमकोर्ट।), में गतिमान है  उसकी सच्चाई 40-45 पर भर्ती करवाया जाना मात्र है।
   यदि ऐसा संभव हुआ तो, 25 जुलाई 2017 को हुए डायरेक्शन में, जिसके आधार पर भर्ती परीक्षा जैसे नए नियम हम शिक्षामित्रों के ऊपर लागूं नहीं होते, वह 25 जुलाई 2017 के जजमेन्ट इसलिए निष्प्रभावी हो जाएगा क्योंकि भर्ती किए जाने के लिए वर्तमान संघर्ष वर्ष, 2020 में जो नए नियम/ निर्देश/जजमेन्ट आर्डर माननीय सुप्रीमकोर्ट से निर्धारित किए जाएंगे, उनको लेटेस्ट मानकर नए डायरेक्शन को ही माना जायेगा, इसप्रकार भर्ती परीक्षा जैसे नए नियम, जिसे 40-45के कट ऑफ पर स्वीकार कर 69000 की भर्ती करने के लिए कोर्ट संघर्ष चल रहा है, जो 25 जुलाई2017 के बाद बनाकर हम शिक्षामित्रों के ऊपर थोपे गए हैं, वह शिक्षामित्र परिवार के सहायक अध्यापक बनने से वंचित करीब 1 लाख शिक्षामित्र साथियों के लिए टी ई टी के अलावा भर्ती परीक्षा के रूप में नियमित अध्यापक बनने में दुर्भाग्य बन जायेगा।
*【2-】*बिचार अवश्य करें--* 1लाख 37 हज़ार शिक्षामित्र विगत तीन वर्षों तक सहायक अध्यापक पद पर कार्य करते हुए पदेन सहायक अध्यापक पद की समस्त अनुमन्य सुविधाओं वेतन आदि को प्राप्त किये हैं, ऐसे में वे अपने पूर्व पद को वापस पाए वगैर अपने मान-सम्मान को वापस पाने की मानसिक संतुष्टि प्राप्त नहीं कर सकेंगे,अर्थात सभी साथियो के मान-सम्मान की बहाली हेतु सहायक अध्यापक का पद चाहिए।
     साथियो आज जो व्योरा आदि माननीय सुप्रीमकोर्ट मांग रहा है,जिस लड़ाई मे मांग रहा है उसका प्रेयर 40 -45 के कट ऑफ पर भर्ती परीक्षा जैसे नए नियमो को स्वीकार किया जाना है न कि, 25 जुलाई 2017 के बाद बनाये गए नए नियमों का बहिष्कार करते हुए कोर्ट संघर्ष करना।
इसप्रकार, शिक्षामित्र परिवार के टी ई टी उत्तीर्ण साथियो के स्वार्थगत नीति,/व्यक्तिगत हितों को सिद्ध करने की कयावद के कारण माननीय सुप्रीमकोर्ट, से मिले दो भर्तियों के अवसर को सरकार द्वारा भर्ती परीक्षा लागूं कर नीतिगत तरीके से हमारी एकजुटता भंग कर हमें सहायक अध्यापक बनने से वंचित किया गया है,जिसमे वे करीब करीब सफ़ल हैं।
*【3-】* आपका यह साथी जजमेन्ट(25 जुलाई), 2017 के आधार पर एक-एक/प्रत्येक शिक्षामित्र साथियो को पुनः नियमित अध्यापक बनाये जाने के प्रेयरों के ग्राउंड का कोर्ट संघर्ष राज्य में 21 नवंबर 2017 भर्ती परीक्षा जैसे नए नियम बनाये जाने से पूर्व से ही करता हुआ संघर्षरत है,जिसकी आवश्यक रणनीति आगामी पोस्ट के माध्यम से आप साथियो के समक्ष रखी जायेगी, जिसमे जीवन के अंतिम क्षणों तक संघर्षरत रहकर, भर्ती परीक्षा जैसे नए नियमों और सामान्य टी ई टी को स्वीकार नहीं किया जाएगा,हम कर्मचारी हैं,दूरस्थ btc डिग्रीधारी है, हमे दूरस्थ टी ई टी करवाया जाए, जिसके मांगों का समर्थन संघर्ष के सफल होने के अंतिम पायदान तक किया जाएगा,जिसमे एक-एक/प्रत्येक शिक्षामित्र को पुनः अध्यापको के समक्ष के अधिकारों का दिलाया जाना सन्निहित है।
*【4--】* मित्रों मेरी इन मांगों का समर्थन यदि आप सभी ने मेरे संघर्ष के वर्ष 2017 से लेकर किसी मोड़ पर आप भाइयों ने किए होते तो कोई माई का लाल आप पर भर्ती परीक्षा जैसे नए नियम नहीं थोप पाता।
*【5--】*शिक्षामित्र परिवार के 165000 परिवार के दुर्भाग्य का कारण।* जैसा कि, कभी दत्तक पुत्र बनकर शिक्षामित्र के संगठन की कमर तोड़ना हो,अथवा फांसी लगाकर शिक्षामित्रों के भविष्य की बलि देना हो,शिक्षामित्र परिवार के एक नामचीन नेता जी हैं जो समय-समय पर हम शिक्षामित्रों के अस्तीत्व का सौदा करते ही रहेंगे।
   जिनकी वास्तविकता सर्वविदितहै, जो गोमती में कूदने की जगह खुद टी ई टी उत्तीर्ण किए हैं, और दिनांक 23/05/2020 को सफ़लता टाइम्स पर जिनका एक ओडियो हमको सुनने को मिला जिसमे वे शिक्षामित्रों के नॉन टेट परिवार को गुमराह किए जाने संबंधी ज्ञान बांट रहे हैं, जिसमे वे स्पस्ट कह रहे हैं,टी ई टी पास साथियो को न्यायालय का संघर्ष नहीं करना चाहिए, और नॉन टेट साथियो को न्यायालय के किसी भी संघर्ष करने से परहेज़ करना चाहिए।
    ऐसा क्यों? क्या नॉन टेट जिनकी संख्या प्रदेश में करीब एक लाख है जो पूर्व में अध्यापक रहे हैं, क्या उन्हें विद्यालयों में अध्यापको के समकक्ष के अधिकारों को पाने का हक नहीं ~? 
मैं कहना चाहूंगा ऐसे नेता जी से आपके पास 165000 परिवार को संरक्षित करवाने का कोई विधिक मांगपत्र है या हवा में 62 साल और 12 हज़ार मानदेय दिलवाकर शिक्षामित्रों को उनका मान-सम्मान वापस करवा दोगे आप ~?
  आपकी इतनी ही चलती थी तो माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा दो भर्तियों के माध्यम से पुनःसहायक अध्यापक बनने के रास्ते को भर्ती परीक्षा जैसे नए नियम बनाकर क्यों छीना गया ~?
इतना ही नहीं प्री-प्राइमरी क्लासेज को जहां कि, सदन में प्रस्ताव पारित कर हम शिक्षामित्रों का भविष्य संरक्षित किया जा सकता था उसे बाल-विकास विभाग के झोले में क्यों डाल दिया गया ~~??? महोदय, यदि क्षमता है तो जवाबी ओडियो जारी कर जवाब दे दीजियेगा,अन्यथा शिक्षामित्रों को ग़ुमराह कर,उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करना बन्द करें, शिक्षामित्रों को संरक्षित किये जाने के सभी विधिक मार्ग यह सरकार बन्द कर चुकी है, नियमों से हटकर सरकार कुछ भी नहीं देने वाली आआप टी ई टी पास हो और खिलाड़ियों के रहमोकरम पर 40-45पर अध्यापक बनों और सरकार के नाम पर राजनीति करना बन्द करों,आपके श्रेय लेने की राजनीति ही आजके शिक्षामित्रों को गर्त में डाल चुकी है, दूरस्थ btc हुआ है, आपकी बदौलत नहीं वरन Rte act के दिशानिर्देशों के क्रम में आप 35 सौ से 36 सौ नहीं करवा पाए थे, आप समायोजन से पूर्व 12 माह नहीं करवा पाए थे, जो शिक्षामित्रों का हक था,उसे आप कभी नहीं दिलवा पाए हैं, और व्यक्तिगत हितों को जीतते हुए अध्यापक बनने की कयावद में आप खुद दूसरे के रमहोंकरम पर है।
आप जैसा मुखिया था इसी लिए शिक्षामित्रों की आज यह दुर्दशा है,इसलिए अपनी बेहयाई से बाज आएं बेहतर होगा।
मुझे पूरी उम्मीद है, शिक्षामित्र परिवार  अध्यापक संवर्ग है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना जानता है, और वास्तविकताओं के क्रम में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए पुनः एकजुट होगा,और ऐसे नेताओं को जवाब देते हुए अस्तीत्व रक्षण के अभियान को सहयोग रूपी बल प्रदान करेगा।
                    -------------दिनेश चन्द्र मिश्र।🙏🏻
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