नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने 10वीं बोर्ड परीक्षा रद्द होने के बाद स्कूल द्वारा अंक निर्धारित करने की आंतरिक मूल्यांकन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई का निर्णय किया है। याचिका में बच्चों के हित में नीति में संशोधन की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 9 जुलाई को तय की है। इससे पहले, खंडपीठ ने दो जून को इस मुद्दे पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर सुनवाई 27 अगस्त को तय की थी। गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) जस्टिस फॉर ऑल के जल्द सुनवाई के आग्रह को स्वीकार कर हाईकोर्ट ने सुनवाई 9 जुलाई को तय कर दी।
याचिका में तर्क रखा गया है कि पिछली कक्षाओं में प्रदर्शन के आधार पर कक्षा 10 के छात्रों के अंकों का आकलन करने की सीबीएसई नीति
असंवैधानिक है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए), 21 और 21ए के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता खगेश झा ने जल्द सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि कक्षा 10 के सीबीएसई के छात्रों के लिए स्कूल के पुराने प्रदर्शन को अंक योजना में सबसे बड़ा कारक बनाने का मुद्दा गंभीर है। उन्होंने कहा कि मेरे अंक इस बात पर निर्भर करेंगे कि मेरे वरिष्ठ ने कैसा प्रदर्शन किया है। एक बार छात्रों के अंक अपलोड करने और परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।