👉 NPS वालों को भी डेथ ग्रेच्यूटी व फेमिली पेंशन का लाभ मिलना चाहिये, PRAN एलाट हुआ हो या नहीं, NPS कटा हो या नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता है।
👉 शासनादेश दिनांक 5 दिस 2011, दिनांक 5 जुलाई 2016, दिनांक 6 अक्तू 2016 व 23 अगस्त 2017 से यह बात बिल्कुल क्लियर है।
👉लेकिन शिक्षकों में जागरूकता और जानकारी के अभाव के कारण किसी अनहोनी की स्थिति में हमारे परिवारजन भटकते रहते हैं।
इसी तरह का गंभीर प्रकरण सेवाकाल में मृत शिक्षकों को डेथ ग्रेच्यूटी देने को लेकर है।
प्रश्न सबके लिये महत्वपूर्ण है, OPS हो या NPS कोई फर्क नहीं पड़ता है।
👉 सेवाकाल में ही इस विकल्प को भरकर हम शिक्षक अपने परिजनों को कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचा सकते हैं।
👉 इस प्रकरण पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अनेक विवाद हैं। WRIT A 5108/2020 का प्रकरण, हम बेसिक शिक्षकों के लिये बेहद महत्वपूर्ण है।
👉ग्रेच्यूटी की सुविधा का मूल सिद्धांत यही है कि या तो 62 साल की नौकरी कर वेतन का का लाभ लीजिये या 60 साल में रिटायर का विकल्प देकर ग्रेच्यूटी लीजिये। प्राकॄतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार ये माना जा सकता है कि असमय मृत्यु हो जाने के कारण शिक्षक विकल्प नही दे पाए और न ही 62 वर्ष तक सेवा व वेतन का लाभ लिया, इसलिये विना विकल्प दिए मृतक के परिजनों को इसका लाभ दिया जाए। परिजन इसी आधार पर कोर्ट से राहत मांग रहे हैं।
👉 याची प्रेमकुमारी के पति उन्नाव के एक एडेड पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 1995 से सहायक अध्यापक थे। 10 फरवरी 19 को उनकी सेवा काल में मृत्यु हो गई। परिवार को पेंशन आदि का भुगतान किया गया किंतु तकनीकी कारणों से ग्रेच्यूटी रोक दी गई।
👉 बेसिक पेंशन व ग्रेच्यूटी शासनादेश दिनांक 23 अगस्त 2017 के बिंदु 7 से विदित होता है कि शिक्षकों को ग्रेच्यूटी का लाभ विकल्प देने पर 60 वर्ष की सेवानिवृति या उससे पहले मृत होने पर डेथ ग्रेच्यूटी देय होगा।
👉 वित्त नियंत्रक के आदेश दिनांक 20 नवम्बर 2018 के आधार पर जीवन काल मे ही 60 वर्ष में सेवानिवृति का विकल्प न देने के कारण वहां के बेसिक शिक्षा अधिकारी/लेखाधिकारी याची को ग्रेच्यूटी का लाभ देने से मना कर रहे थे। वित्तीय नियमों के अनुसार अधिकारियों का पक्ष भी सही है।
👉 अब न्यायालय से राहत की मांग की गई है कि जीवन काल मे ही 60 साल में रिटायर होने का विकल्प न दे पाने के आधार पर मृत शिक्षक के परिजनों को ग्रेच्यूटी के लाभ से वंचित किया जाना उचित नही है। उन्हें राहत दी जाए।
👉 सेवानिवॄत्त या सेवा काल मे मृत राज्य कर्मचारियों के परिजनों को ग्रेच्युटी के लाखों रुपये स्वतः मिलते हैं। ये लाभ इसलिये मिलता क्योकि कर्मचारी 60 में रिटायर होते हैं, जबकि शिक्षक के 62 में रिटायर होने के कारण नहीं मिलता है।
👉अधिक जागरूक होने के कारण इंटर कालेजों के शिक्षक तथा डिग्री कालेजों, मेडिकल कालेज व यूनिवर्सिटियों के लेक्चरर, प्रोफेसर 60 वर्ष में ही सेवानिवृति पाने का विकल्प देकर सेवानिवृत या असामयिक मृत्यु की दशा में ग्रेच्यूटी के लाखों रुपये पाते हैं।
👉जबकि बेसिक शिक्षक जानकारी के अभाव में या कतिपय कारणों से ये विकल्प न देकर 62 वर्ष तक सेवा करते हैं। कभी कभी सेवाकाल में ही मृत्यु हो जाने की दशा में डेथ ग्रेच्यूटी नहीं पाते हैं।
👉 हर साल हर जिले में अनेक बेसिक शिक्षक बीमारी या दुर्घटना से मर रहे हैं। यदि इस विकल्प का फायदा लिया गया होता तो फेमिली को ग्रेच्यूटी के रूप में लाखों रुपये की मदद मिलती।
👉अब जो शिक्षक वर्तमान में कार्यरत हैं, वो क्या करें ?
किसी अनहोनी की स्थिति में
👉इस विवाद से अपने परिजनों को बचाने का सीधा उपाय यही है कि शासन द्वारा निर्धारित फार्मेट पर अपने जीवन काल मे ही 60 वर्ष के रिटायरमेंट का विकल्प ले लिया जाय।
👉 यदि आप अभी 60 वर्ष की आयु पर सेवानिवृत्त का विकल्प भरकर ग्रेच्यूटी नॉमिनेशन फार्म भर देते हैं, तो आपका ग्रेच्यूटी के रूप में लाखों रुपये का एक तरह से निःशुल्क बीमा भी हो जाएगा। यदि 60 वर्ष से पूर्व कोई अनहोनी होती है, तो जितने वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके होंगे, उतने माह का वेतन आपके द्वारा नामित व्यक्ति को मिलेगा। यह लाभ 1 वर्ष की सेवा अवधि वाले को 2 माह के वेतन से लेकर अधिकतम 20 लाख तक है। यह सीमा हर वेतन आयोग में बढ़ती रहती है।
👉यदि सकुशल 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेते हैं, तो फिर आपके सामने दो विकल्प रहेंगे-
👉60 वर्ष पर ही सेवानिवृत्त ले लें, ऐसी स्थिति में आप जितने वर्ष की सेवा कर चुके होंगे, उसके आधे माह के रेशियो से ग्रेच्युटी के रूप में लाखो रुपये मिलेंगे। वर्तमान में यह सीमा 20 लाख है।
दूसरा विकल्प अब भी खुला रहेगा।
👉 चाहे तो शासनादेश संख्या 2491/10 जून 2002 के अनुसार उक्त विकल्प को परिवर्तित कर 62 वर्ष पर सेवानिवृत्त होने का विकल्प ठीक 59 वें वर्ष के सत्रारंभ में ही दे दें और चैन से 62 वर्ष तक सेवा का लाभ उठायें।
👉 अर्थात 62 वर्ष तक काम करते रहने पर 24 माह का वेतन किस्तों में अर्थात प्रतिमाह मिलेगा जबकि 60 वर्ष के रिटायरमेंट में काम नहीं करने पर भी 15-16 माह का वेतन एडवांस में नगद मिलेगा। यह आपको तय करना है कि क्या ठीक रहेगा?
👉लेकिन अभी तत्काल 60 वर्ष का विकल्प भर देने में ही फायदा है। क्योंकि ऐसा करने से लाखो रुपये के ग्रेच्यूटी के रूप में वीमा कवर जैसा फायदा मिल जा रहा है।
👉मेरे विचार में हम शिक्षकों का एकमात्र 1 लाख का बीमा लाभ भी अधर में है। लिहाजा 60 वर्ष में सेवानिवृति का विकल्प देकर लाखो रुपये की ग्रेच्यूटी के कवच का लाभ लेना उचित रहेगा।
👉इसलिये सबसे पहले विकल्प व ग्रेच्यूटी नामांकन का फार्म भर कर परिवार का आर्थिक भविष्य सुरक्षित किया जाना ही बुद्धिमानी है।
ग्रेज्युटी विकल्प हेतु प्राप्त कुछ प्रश्नों के उत्तर
1-60 वर्ष के विकल्प में सत्र लाभ की व्यवस्था नही है ।
2 -60 वर्ष के विकल्प को सेवानिवृत्ति के पूर्व कभी भी 62 वर्ष में बदला जा सकता है ।लेकिन 62 वर्ष के विकल्प को 60 वर्ष में बदलने के लिए 59 वर्ष उम्र के पहले ही विकल्प बदलना होगा ।यद्यपि कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति 60 वर्ष के पहले भी 3 माह पूर्व की सूचना पर ली जा सकती है ।
3-60 वर्ष का विकल्प लेने पर किसी अनहोनी के बाद परिवार को बिना किसी परेशानी के ग्रेज्युटी प्राप्त होगी ।यद्यपि कि माननीय उच्च न्यायालय बिना विकल्प भी परिवार को ग्रेज्युटी भुगतान का आदेश निरन्तर कर रहा है लेकिन अब तक किसी को भुगतान होना नही पाया गया ।
4-ग्रेज्युटी की व्यवस्था समान रूप से ops व nps दोनो प्रकार के शिक्षकों पर लागू है ।