शिक्षा विभाग का गड़बड़ घोटाला: -शिक्षक का निलंबन काल के वेतन व अन्य देय का भुगतान करने को 30 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप

शामली। जिले के खिजरपुर गांव के प्राथमिक स्कूल के सहायक शिक्षक राकेश शर्मा ने अपने ही शिक्षा विभाग के अफसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। शिक्षक ने पहले अवैध निलंबन करने और निलंबन के दौरान का वेतन भुगतान सहित अन्य देय भुगतान के बदले 30 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया है। बीएसए, कोषाधिकारी व अन्य अफसरों पर आरोप लगाते हुए डीएम जसजीत कौर को शिकायत भेजकर जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।


बृहस्पतिवार को लिसाढ़ गांव के खिजरपुर मजरे के प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापक राकेश शर्मा ने पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने बताया कि सहारनपुर जिले से अंतरजनपदीय तबादला प्रक्रिया के तहत 20 जुलाई 2013 को शामली जिले में आकर शिक्षण कार्य शुरू किया था। 20 जुलाई 2013 से 19 सितंबर 2014 तक 14 माह का कोई वेतन नहीं दिया गया। तत्कालीन बीएसए, बीईओ से लिखित और मौखिक शिकायत भी की थी।

आरोप लगाया कि जिले के बेसिक शिक्षा विभाग ने उनका भुगतान न करके 19 सितंबर 2014 को निलंबित कर दिया। विभाग के अफसरों ने निलंबन पत्र और आरोप पत्र उपलब्ध नहीं कराया। अनुशासनात्मक जांच शुरू की गई। निलंबन के दौरान का कोई भी निर्वाह भत्ता नहीं दिया है। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय गत 19 जुलाई 2019 में वाद दायर करके न्याय की मांग की। न्यायालय ने 19 सितंबर 2014 का निलंबन आदेश निरस्त करते हुए वेतन देने के बीएसए को निर्देश दिए। न्यायालय के आदेश के बाद भी निलंबन अवधि का पांच साल का वेतन भुगतान नहीं किया गया।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश की अवमानना की कार्रवाई शुरू हुई तो 14 माह का 3.87 लाख का वेतन भुगतान किया गया। लंबित भुगतान के लिए वह बीएसए राहुल मिश्रा से मिले, तो उन्होंने एक लिपिक से मिलने को कहा। लिपिक ने प्रकरण के निस्तारण के लिए चार लाख रुपये की पेशकश की। बाद में वह बीएसए से मिले, उन्होंने वित्त लेखाधिकारी से मिलने को कहा।
आरोप है कि वित्त लेखाधिकारी ने मामले के निस्तारण के लिए 30 प्रतिशत कमीशन की पेशकश की। सहायक अध्यापक का कहना है कि पांच साल का 40 लाख रुपये वेतन की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित ने वित्त लेखाधिकारी से बातचीत का मोबाइल की रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराई।
न्यायालय आदेश पर नियमानुसार भुगतान किया
बीएसए राहुल मिश्रा ने बताया कि शिक्षक को निलंबन के दौरान कांधला बीआरसी पर संबद्ध किया गया था। बीआरसी पर उपस्थिति का ब्योरा नहीं मिला है। हाईकोर्ट के आदेशानुसार उपस्थिति का नियमानुसार 3.87 लाख रुपये का वेतन भुगतान कर दिया गया है। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय और शासन को अवगत कराएंगे।
बीएसए को बुलाकर रिपोर्ट मांगी थी, निलंबन के बाद क्यों नही किया बहाल: डीएम
डीएम जसजीत कौर का कहना है कि पीड़ित सहायक अध्यापक उनसे मिले थे, लेकिन कमीशन लेने की शिकायत के साक्ष्य नहीं दिए। न ही ही कोई रिकार्डिंग उन्हें सौंपी है। बीएसए से पूरे मामले की जांच करके आखिर पांच साल तक क्यों नहीं बहाल किया गया, इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। अध्यापक मौजूदा समय में ड्यूटी कर रहे हैं।