अनुदेशक मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ, जानिए पूरा मामला

बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशक शिक्षक लगातार अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए लोकतंत्र के सभी स्तम्भों के समक्ष लगातार अपनी पीड़ा और कराह को लेकर गुहार लगा रहे हैं।


आज जहाँ विश्व भर में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है वहीं पर उत्तर प्रदेश परिषदीय अनुदेशक कल्याण एशोसिएशन उत्तर प्रदेश, प्रदेश भर के समस्त शोषित अनुदेशकों की तरफ से भारत देश के सर्वोच्च न्याय के मंदिर में अपनी पीड़ा की गुहार लगायी है।

मामले में हाईकोर्ट डबल बेन्च के उस निर्णय को चुनौती दी गई है जिसके द्वारा अनुदेशकों के बढ़े हुए मानदेय 17000 को एक सत्र भुगतान मात्र के लिए सीमित कर दिया गया है। मामले में संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति से याचिका दायर की गयी।

अनुदेशकों की तरफ से शिक्षा विभाग के विशेषज्ञ अधिवक्ता राजकुमार सिंह एवं सर्विस मामले में पारंगत एवं प्रसिद्ध अधिवक्ता पी.एस. पटवालिया जी ने तर्क प्रस्तुत करते हुए अनेक मौलिक विधिक तथ्यों को न्यायालय के समक्ष रखा। इनमें से अनेक नवीन एवं ठोस बिन्दुओं को भी अनुदेशकों के अधिवक्ताओं के द्वारा उठाए गए हैं जिन्हें अभी तक विचारण न्यायालय ने संज्ञान में नहीं लिया था।


उपरोक्त सभी तथ्यों एवं विधिक तर्कों के आलोक में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में सरकार से चार सप्ताह के अंदर जबाब दाखिल करने को कहा है

उल्लेखनीय है कि अनुदेशकों के मामले में लगातार निचले स्तर से लेकर सर्वोच्च स्तर तक न्यायिक कार्यवाही गतिमान है लेकिन वास्तविक उपचार से अभी तक अनुदेशक वंचित है।

अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने न्युज एजेंसियों से वार्ता के क्रम में अपनी बात रखते हुए पुनः दुहराया है कि ईमानदारी, पारदर्शिता और सही दिशा में सर्वोच्च परिश्रम से 25000 से अधिक अनुदेशकों को न्याय प्राप्त करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।