शपथ पत्र में भी कम स्टांप लगाने वालों पर होगी नजर

लखनऊ,। प्रदेश में स्टांप चोरी का खेल बदस्तूर जारी है। रजिस्ट्री ही नहीं शपथ पत्र या फिर अन्य उपयोगों में लगाए जाने वाले स्टांप में भी शुल्क की चोरी हो रही है। यह खेल सरकारी से लेकर निजी क्षेत्रों में चल रहा है। शासन स्तर पर इसकी शिकायत मिलने के बाद इस पर कड़ाई से रोक लगाने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया है। प्रमुख सचिव स्टांप एवं पंजीकरण लीना जौहरी ने प्रदेश के विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों के साथ सभी जिलाधिकारियों को भेजे निर्देश में कहा है कि भारतीय स्टांप अधिनियम-1899 में दी गई व्यवस्था के मुताबिक रजिस्ट्री या फिर कोई भी ऐसा शपथ पत्र जिसमें स्टांप लगाने की अनिवार्यता है, उसका परीक्षण किया जाएगा।



इसीलिए यह देखा जाएगा कि उसके समक्ष आने वाले मामलों में उचित स्टांप लगा है या नहीं। कम स्टांप लगने की स्थिति में तुरंत ही संबंधित काम को रोक दिया जाएगा। स्टांप अधिनियम की धारा-64 के तहत कम स्टांप लगाना चोरी की श्रेणी में आता है। यह एक दंडनीय अपराध भी है। शासनादेश में कहा गया है कि अधिकारी स्टांप अधिनियम का अध्ययन कर लें।


उनके पास काम के दौरान प्रस्तुत होने वाले दस्तावेजों में गड़बड़ी होने पर कठोर कार्रवाई की जाए। मौजूदा समय ई-स्टांप भी प्रचलन में है। इसकी वैधता का परीक्षण करने के लिए उस पर एक क्यूआर कोड दिया गया है। अधिकारियों के समक्ष कोई भी ई- स्टांप पेपर प्रस्तुत किया जाए तो उसकी जांच भी अनिवार्य रूप से की जाएगी। शासन स्तर से ई-स्टांप जांचने के लिए एक ऐप भी बनवाया गया है।