प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप, इस सप्ताह और नीचे जाएगा पारा, बढ़ेगी गलन

 दिसंबर के जाते-जाते सर्दी भी अपने चरम सीमा पर पहुंचती जा रही है। पिछले तीन-चार दिनों में तापमान की कमी के चलते रात के समय गलन का एहसास होने लगा है। पूर्वी यूपी के ज्यादा शहरों का यही आलम देखने को मिला है। मौसम विभाग के अनुसार लखीमपुर, सीतापुर के आसपास के जिलों में शनिवार को दिन भी लोग बेहाल नजर आए। दिन में धूप निकलने के बाद भी लोग घरों में दुबके रहे। यूपी के ज्यादातर जिलों में शनिवार को 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चली हैं। मौसम के जानकारों का कहना है कि इस सप्ताह तापमान और नीचे जाएगा। तापमान में गिरावट के कारण इस सप्ताह गलन का एहसास होगा।




मौसम के बदलाव की वजह से नगर पालिकाओं के इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। सुबह निकली धूप के बाद भी शीत लहर से तराई का इलाका कांपता रहा। खास बात है कि सुबह के वक्त हवाओं की गति चार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी। शाम होते-होते हवा की गति दस किलोमीटर प्रति घंटा हो गई। इस वजह से तापमान शाम के वक्त 17 डिग्री तक पहुंच गया। दिन का तापमान 22 डिग्री और रात का पारा सात डिग्री रहा। गलन की वजह से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया। जानकारों का कहना है कि मौसम इस हफ्ते ऐसा ही रहेगा। सुबह और शाम के वक्त कोहरा बने रहने की आशंका है।


सांस के मरीज धूप निकलने पर ही जाए मॉर्निंग वॉक



सर्दी का मौसम सांस की बीमारी वाले मरीजों के लिए वैसे ही तकलीफदेय है। इसके साथ प्रदूषण और फॉग हो तो यह परेशानी और बढ़ जाती है। यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए काफी कष्टकारक होता है। इसके अलावा सावधानी नहीं बरतने पर हार्ट, बीपी, अस्थमा और निमोनिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह जानलेवा भी बन जाता है। सर्दी और प्रदूषण से सांस की बीमारी से पीड़ितों का नियंत्रण बिगड़ने लगता है। इस समय दवाओं का डोज भी बढ़ाना पड़ता है। इससे बचने के लिए कई तरह की सावधानी अपनानी चाहिए। फॉग के समय मॉर्निंग वॉक पर धूप निकलने के बाद ही जाएं, सांस के मरीज पूरे मौसम में गुनगुना पानी ही पीएं और गुनगुना पानी से ही नहाए। सर्दी-जुकाम से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क से बचना चाहिए तथा खाना खाते समय हाथ को साबुन से जरूर धोना चाहिए।



वायरल संक्रमण समेत तमाम रोगों का डर


सीएमएस, चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा.आईबीराम चंदानी ने बताया कि सर्दी के मौसम में सर्दी, खांसी, एलर्जी, सांस फूलना, वायरल इंफेक्शन जैसी बीमारियां आम होती हैं।  इससे बचने के लिए 83 साल से अधिक आयु के लोगों को फ्लू और निमोकोकल वैक्सीन जरूर लगाना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को सर्दी से बचाव करना चाहिए। खेलते समय बच्चे अक्सर मुंह से सांस लेते हैं। इससे उनको सर्दी-खांसी और श्वास संबंधी बीमारिया हो सकती हैं। उन्हें नाक से सांस लेने की सलाह दें। बार-बार खांसी होना, दवा लेने के बाद भी तीन-चार हफ्ते तक ठीक ना होना, छाती का जकड़ना, गले से सिटी जैसी आवाज और सांस फूलना अस्थमा का लक्षण है। ऐसे में डाक्टर से जरूर मिलें।