नई दिल्ली, । स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक में नए बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी। इस बिल के अनुसार,
फीस वृद्धि से पहले अनुमति लेनी होगी।
तीन स्तर पर कमेटी फीस बढ़ोतरी तय करेगी। मनमानी करने वाले स्कूलों पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा। यह बिल अगले सत्र में पेश किया जाएगा।
दिल्ली सरकार मनमानी फीस बढ़ोतरी और इसे लेकर अभिभावकों-छात्रों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त कानून लाने जा रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इससे जुड़े बिल ट्रांसपेरेंसीइन फिक्ससेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस 2025 के मसौदे को मंजूरी दी गई।
अभिभावकों की भूमिका: बैठक के बाद दिल्ली सचिवालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि फीस तय करने में अभिभावकों की भी भूमिका होगी। शिक्षा मंत्री अशीष सूद ने बताया कि नए कानून के अनुसार तीन स्तर पर कमेटी फीस तय करेगी।
स्कूल स्तर पर पहली कमेटी: पहली समिति स्कूल स्तर पर होगी। स्कूल प्रबंधन प्रतिनिधि की अध्यक्षता में गठित इस समिति में प्रधानाचार्य, तीन शिक्षक और पांच अभिभावक होंगे। यह कमेटी हर साल 31 जुलाई को गठित की जाएगी। कमेटी को 30 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। समिति में फीस बढ़ोतरी पर सहमत नहीं है तो मामला जिला शुल्क अपील समिति के पास जाएगा।
जिला स्तर पर दूसरी समिति: जिला शिक्षा उपनिदेशक की अध्यक्षता वाली समिति में सीए, जोनल उपनिदेश, क्षेत्रीय लेखाधिकारी, शिक्षक और अभिभावक प्रतिनिधि होंगे। इस समिति को 45 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। अगर यह समिति फीस नहीं तय कर पाती है तो शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में बनी
राज्य स्तर पर तीसरी समिति: राज्यस्तरीय समिति फैसला करेगी। इसमें शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ, सीए, लेखा नियंत्रक, निजी स्कूल प्रतिनिधि और अभिभावक प्रतिनिधि होंगे।
तीन वर्ष में एक बार रेटिंग से तय होगी बढ़ोतरी
बिल में बताया गया है कि स्कूल फीस तय करने का आधार क्या होगा। मसलन स्कूल की पढ़ाई कैसी है। उनकी वित्तीय स्थिति क्या है। स्कूल में क्या सुविधाएं मिल रही हैं। परिणाम क्या आ रहे हैं, इन तथ्यों को आधार बनाया जाएगा। शिक्षा मंत्री अशीष सूद ने बताया कि एक बार तय फीस अगले तीन अकादमिक वर्षों तक लागू रहेगी। इससे अभिभावकों को राहत मिलेगी और अनिश्चितता कम होगी।