मिड-डे मील हजारों क्विंटल राशन डकार गए प्रधानजी, नोटिस जारी



बांदा। स्कूल में बच्चों को मिड-डे मील में परोसे जाने वाले भोजन का राशन प्रधान जी डकार गए। बंदरबांट में सचिव भी शामिल रहे। जिले के 226 ग्राम प्रधान इसी शक के दायरे में आ गए हैं। प्रधानों ने राशन उपभोग का प्रमाणपत्र नहीं दिया है। उन्हें नोटिस जारी कर 4132 क्विंटल राशन का हिसाब मांगा गया है।





घपला बड़ा है। साथ ही पुराना भी है। सितंबर 2005 से अक्टूबर 2010 तक के मिड-डे मील राशन का हिसाब / उपभोग प्रमाणपत्र जिले के लगभग 50 फीसदी प्रधानों ने आज तक नहीं दिया। उन्हें इस अवधि में 2690 क्विंटल गेहूं व 3680 क्विंटल चावल उपलब्ध कराया गया था। जिसमें सिर्फ 900 क्विंटल गेहूं व 1338 क्विंटल चावल का ही हिसाब प्रधान दे पाए हैं। शेष 1790 क्विंटल गेहूं और 2342 क्विंटल चावल का उपभोग प्रमाणपत्र अब तक नहीं दिया।



वर्ष 2014 में तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी ने प्रधानों को उपभोग प्रमाणपत्र न देने पर भू- राजस्व की भांति वसूली की जाने की चेतावनी दी थी, लेकिन प्रधानों ने इसे अनदेखा कर दिया। अब




एक बार फिर यह मुद्दा गरमाया है। बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों के माध्यम से प्रधानों को भेजे नोटिस में कहा कि राशन का उपभोग प्रमाणपत्र दाखिल न करने का अपना पक्ष अभिलेखीय साक्ष्यों सहित एक सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करें, वरना विधिक कार्रवाई करते हुए राशन की कीमत भू-राजस्व की तर्ज पर करने के लिए कार्रवाई की जाएगी। नोटिस जारी होने वाले प्रधानों में विकास खंड महुआ के 60, बिसंडा के 20, बड़ोखर के 18, नरैनी के 56, बबेरू के 38, तिंदवारी के 20, जसपुरा व कमासिन के सात-सात शामिल हैं। गौरतलब है कि उपभोग प्रमाणपत्र न देने वाले तत्कालीन प्रधान हैं, लेकिन ग्राम पंचायतों की पंचायतों के मौजूदा मुखिया/प्रधानों जवाबदेही होने के नाते ग्राम को नोटिस दिया है।



प्रधान ने जमा की खाद्यान्न राशि



जसपुरा ब्लाक के ग्राम पंचायत बड़ागांव की मौजूदा प्रधान गीता ने बताया कि बकाया खाद्यान्न राशि 74,500 रुपये जमा कर दी है। प्रधान का कहना है कि मामला पुराना है। उपभोग के अभिलेख नहीं मिल रहे हैं। आरोप से बचने के लिए यह राशि जमा कर दी गई है।



तत्कालीन प्रधान से हो वसूली



महुआ ब्लाक के बहेरी ग्राम प्रधान अमर सिंह यादव का कहना है कि ग्राम पंचायत में मिड-डे मील का पुराना कोई रिकार्ड नहीं है। वर्ष 2005 से 2010 तक जो प्रधान रहे हैं उन्हीं से वसूली की जाए।



उपभोग प्रमाणपत्र नहीं दिया तो वसूली



बांदा। जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) सर्वेश कुमार का कहना है कि शासन के आदेश का अनुपालन कराया जाएगा। उपभोग प्रमाणपत्र न देने वालों से वसूली की जाएगी।