नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची में नए नामों को जोड़ने और अपडेट करने की प्रक्रिया में आधार डेटाबेस का उपयोग करने की भारत के चुनाव आयोग की शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 और 28 और
निर्वाचकों का पंजीकरण (संशोधन) नियम, 2022 और दो अधिसूचनाएं के संवैधानिक अधिकार को चुनौती देती है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया कि मामले को इसी तरह की प्रार्थनाओं के साथ दो अन्य याचिकाओं के साथ टैग किया जाए। याचिका 2019 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य प्रसन्ना भट्टाचार्य द्वारा दायर की गई थी, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, जो जेल में बंद व्यक्ति को चुनाव में वोट डालने से रोकती है। पीठ ने जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई 29 दिसंबर को तय की है।
निर्वाचकों का पंजीकरण (संशोधन) नियम, 2022 और दो अधिसूचनाएं के संवैधानिक अधिकार को चुनौती देती है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया कि मामले को इसी तरह की प्रार्थनाओं के साथ दो अन्य याचिकाओं के साथ टैग किया जाए। याचिका 2019 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य प्रसन्ना भट्टाचार्य द्वारा दायर की गई थी, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, जो जेल में बंद व्यक्ति को चुनाव में वोट डालने से रोकती है। पीठ ने जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई 29 दिसंबर को तय की है।