पदोन्नति और उस पर रोक✍️


पदोन्नति से रोक हटी

मैंने दिनांक 31 दिसंबर 2023 को ही बता दिया था कि जो वर्तमान की विधिक स्थिति है, बेशक वह अंतरिम विधिक स्थिति है; अभी अंतिम विधिक स्थिति नहीं है।
पदोन्नति वर्तमान में अंतरिम विधिक स्थिति पर ही हो सकती है। या फिर अंतिम विधिक स्थिति माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद बनेगी उसपर हो सकती है।
दिनांक 11 सितंबर 2023 के पहले बगैर TET वालों की पदोन्नति हो सकती थी। मगर अब जब मद्रास उच्च न्यायालय के फैसला दिनांक 02/06/23 को एनसीटीई ने दिनांक 11/09/2023 को स्वीकार कर लिया है तो उसे तभी नकारा जा सकता है, जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय उसे रद्द करे। तमिलनाडु सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय गई है, टीईटी समर्थकों को डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी ने नोटिस भी जारी करा दिया है।
मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के पूर्व में ही दिनांक 03/05/2023 की याचिका में मैं लिखकर गया था था कि जिसकी नियुक्ति 23/08/2010 के पहले हुई हो उसे बगैर टीईटी यदि प्रमोट किया जायेगा तो मुझे आपत्ति नहीं होगी। मगर 2/6/2023 को मद्रास उच्च न्यायालय ने कह दिया कि नियुक्ति चाहे जब की हो जब आप प्राइमरी के हेड मास्टर बन रहे हो तो आपके पास प्राइमरी (1टू 5) की टीईटी हो, जब आप अपर प्राइमरी के सहायक अध्यापक अथवा हेडमास्टर बन रहे हों तो आपके पास उच्च प्राथमिक (6 टू 8) की टीईटी हो। दिनांक 23/08/2010 के पूर्व आप जिस स्थिति पर थे चाहे आप प्राइमरी के सहायक अध्यापक/हेडमास्टर या फिर मिडिल के सहायक अध्यापक/ हेडमास्टर मात्र उस पद पर बने रहने के लिए एनसीटीई नोटिफिकेशन 2010 के पैरा 4 में मिली टीईटी से छूट का लाभ उस पद पर बने रहने के लिए मिल सकता है।
पद में परिवर्तन होता है तो एनसीटीई नोटिफिकेशन 12/11/2014 के पैरा 4(ख) के तहत आप जिस संवर्ग में नया पद ग्रहण कर रहे हैं उसकी टीईटी उत्तीर्ण हों।
हकीकत में एनसीटीई के नोटिफिकेशन की व्याख्या भी यही है।
मेरा भी व्यक्तिगत विचार यही था। वर्ष 2018 में माननीय न्यायमूर्ति श्री अश्वनी मिश्रा जी ने भी यह व्याख्या कर दी थी। मगर डीबी/खंडपीठ में न्यायमूर्ति श्री एपी शाही जी एवम न्यायमूर्ति श्री बच्चू लाल जी ने एकलपीठ का ऑर्डर रद्द कर दिया और कहा कि उनको भी सुनिए जो दिनांक 23/08/2010 के पहले नियुक्त हैं। उनपर पदोन्नति में टीईटी कैसे लगाओगे।
तब मुझे लगा जब तक दीपक शर्मा केस पुनः निर्णित नहीं होगा तब तक पदोन्नति नहीं होगी इसलिए मिशन प्रमोशन ग्रुप बनाकर दिनांक 23/08/2010 के पूर्व वालों को टीईटी से राहत देकर पदोन्नति का संघर्ष प्रारंभ हुआ।
मगर मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले ने स्थिति बदल दी।
मेरे पास एन अहमद ने फोन किया और कहा कि वर्तमान की लीगल पोजिशन क्या है? मैंने कहा कि किसी को टीईटी से अभी राहत नहीं है। मैंने कहा कि 23/08/2010 के पहले वालों को बख्श दो। वो नहीं टीईटी पास कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं 2009 का शिक्षक हूं। यह सुनकर मैं अवाक रह गया और कहा कि ठीक है। इस स्थिति में फिर मुझे ही आना होगा, मगर मैं तभी अपने नाम से ग्रुप मामले में केस करता हूं जब कोई अन्य भी कहीं जाए तो वह कुछ मेरे विरुद्ध न कर पाए , तत्काल मैं हर अपनी विचारधारा के देश/प्रदेश के लोगों पर नजर रखता हूं। दो चुनौती मुझे पता थी, एक अवनीश यादव जो पदोन्नति मोर्चा बनाए थे। वो विरोध करेंगे और हिमांशु राणा के वकील मेरे ही वकील थे तो उनसे मुझे कोई आपत्ति नहीं थी वह मेरे विरुद्ध इस केस में न जा पाते क्योंकि वह नियमावली में पदोन्नति में टीईटी लिखवाना चाहते हैं उसके बाद पदोन्नति चाहते हैं।
मेरा उद्देश्य है कि पदोन्नति हो तो वर्तमान विधिक स्थिति पर हो या फिर अंतिम निर्णय के बाद हो।
अवनीश यादव खुद टीईटी उत्तीर्ण हैं उन्हें किसी नॉन टीईटी की तरफ से आना था लेकिन खुद कूद पड़े। उनको मैने हटाया। हिमांशु जी की याचिका पर रोक नहीं लगने पाई और टीईटी उत्तीर्ण की पदोन्नति की जा सकती है। नियमावली में संशोधन को लेकर काउंटर मांग लिया गया।
मेरी याचिका पर सचिव साहब ने 5 जनवरी 2024 को स्वीकार किया कि वह पदोन्नति अगली तारीख तक नहीं करेंगे। दिनांक 8 जनवरी 2024 को पदोन्नति पर रोक लग गई। कल दिनांक 1 फरवरी 2024 को मेरी याचिका से रोक हट गई है और वर्तमान विधिक स्थिति बहाल हो गई है अर्थात जो टीईटी उत्तीर्ण हैं उनकी पदोन्नति की जा सकती है। अब मिशन प्रमोशन ग्रुप प्रयास करेगा कि शीघ्र पदोन्नति हो। साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी पैरवी की जा रही है।
मैं तो सब कुछ बताकर करता हूं इसलिए बता रहा हूं कि मैं अपने नाम से याचिका वहीं करता हूं जहां विजय तय हो। एक दिलचस्प विषय है कि आगे से मुकाबला एन अहमद और राघवेंद्र पांडे के मध्य होगा इससे हटकर जो जिससे जुड़ेंगे वो छले और लूटे जायेंगे। एन अहमद एसबीटीवी 2007 -08 के प्रथम बैच के शिक्षक हैं और 2009 में नियुक्त हैं वह मद्रास उच्च न्यायालय का फैसला बहाल रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं और राघवेंद्र जी वर्ष 2018 के शिक्षक हैं वह दिनांक 29/07/2011 के पहले नियुक्त लोगों को पदोन्नति में टीईटी से बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। दोनों अपनी विचारधारा के कट्टर समर्थक हैं। एक अपनी मां/बहन और शिक्षकों की लड़ाई लड़ रहे हैं उनको पढ़कर लगता है कि टीईटी उनके लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि वह बगैर टिकट रेलवे में यात्रा कर रहे हैं और टीईटी कोई रेलवे का टिकट चेकर है। दूसरे योद्धा का मानना है कि वह 2009 से शिक्षक हैं और हर टीईटी उत्तीर्ण कर लेते हैं। गुणवत्ता युक्त शिक्षा से समझौता नहीं होना चाहिए।
दोनों में जिसकी विजय होगी मुझे बधाई देने में विलंब नहीं होगा। एक निष्पक्ष/निःशुल्क/स्वतंत्र सलाहकार के रूप में भी अपनी राय रख दी है।
भूल चूक गलती कसूर माफ करना, अब यह कोई न कहना कि पदोन्नति पर रोक है। विभाग वर्तमान अंतरिम विधिक स्थिति में पदोन्नति करने के लिए बाध्य नहीं है। मिशन प्रमोशन ग्रुप तत्काल अंतरिम विधिक स्थिति के आधार पर ही पदोन्नति का प्रयास करेगा। जैसे ही अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण वालों का कार्यमुक्त/कार्यभार हो जायेगा। विभाग माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय के बाद भी पदोन्नति करने को स्वतंत्र है, परंतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय से तत्काल पदोन्नति कराया जायेगा। अहमद जी मुझे पता है कि आप मुझे जितना मानते हो उतना भगवान को भक्त और भक्त को भगवान ही मान सकता है।
आपने कानून/संविधान का हवाला दिया तो एक महीने के अंदर आपको वह स्थिति दे दी। इसके लिए बहुत से खून के रिश्तों को भी मैंने दुख दिया। सबसे माफी मांग रहा हूं।
धन्यवाद
राहुल पांडे अविचल