जब किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो सरकार उनके परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए फैमिली पेंशन की व्यवस्था करती है। यह पेंशन उन परिवार के सदस्यों को दी जाती है जो मृतक पर आर्थिक रूप से निर्भर थे। आइए जानते हैं कि किन-किन लोगों को यह पेंशन मिलने का अधिकार है और इसके नियम क्या हैं।
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पेंशन पाने के हकदार लोग
- मृतक की पत्नी या पति
मृत सरकारी कर्मचारी का जीवनसाथी (पत्नी या पति) सबसे पहले पेंशन का हकदार होता है। यह पेंशन तब तक मिलती है, जब तक जीवनसाथी जीवित रहता है या पुनर्विवाह नहीं करता। - 25 साल से कम उम्र का अविवाहित बेटा
अगर मृतक का बेटा 25 साल से कम उम्र का है और अविवाहित है, तो उसे भी पेंशन दी जा सकती है। यह तब तक जारी रहती है, जब तक वह 25 साल का नहीं हो जाता या शादी नहीं कर लेता। - अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा बेटी
मृतक की बेटी, जो अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा हो और मृतक पर आर्थिक रूप से आश्रित हो, वह पेंशन की हकदार होती है। यह लाभ तब तक मिलता है, जब तक वह शादी नहीं कर लेती या आत्मनिर्भर नहीं हो जाती। - दिव्यांग बच्चा
अगर मृतक का कोई बच्चा (बेटा या बेटी) शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग है और खुद कमाने में असमर्थ है, तो उसे आजीवन पेंशन मिल सकती है। - मृतक पर आश्रित माता-पिता
अगर मृतक के माता-पिता उस पर आर्थिक रूप से निर्भर थे और उनकी देखभाल के लिए कोई अन्य साधन नहीं है, तो उन्हें भी पेंशन दी जा सकती है। - मृतक पर आश्रित भाई-बहन
मृतक के भाई या बहन, जो अविवाहित हों और उस पर आश्रित हों, वे भी कुछ शर्तों के साथ पेंशन के लिए पात्र हो सकते हैं।
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पेंशन देने का क्रम
फैमिली पेंशन देने में एक निश्चित प्राथमिकता का पालन किया जाता है:
- सबसे पहले मृतक के पति या पत्नी को पेंशन दी जाती है।
- अगर जीवनसाथी नहीं है, तो पात्र बच्चों को पेंशन मिलती है।
- बच्चों के न होने की स्थिति में माता-पिता को प्राथमिकता दी जाती है।
- अगर माता-पिता भी नहीं हैं, तो दिव्यांग भाई-बहन को पेंशन प्रदान की जा सकती है।
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नोट
फैमिली पेंशन का उद्देश्य मृतक के परिवार को आर्थिक संबल देना है। इसके नियम और शर्तें सरकारी नीतियों के अनुसार बदल सकती हैं, इसलिए पेंशन के लिए आवेदन करने से पहले संबंधित विभाग से पूरी जानकारी लेना जरूरी है।
इस तरह, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि मृतक कर्मचारी का परिवार मुश्किल हालात में भी अपनी जरूरतें पूरी कर सके।