लखनऊः प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को मारना, डराना या डांटना तो दूर, उन्हें -धमकाने के अंदाज में आंख दिखाना भी अपराध माना जाएगा। किताब या सी हैं। इसका शासनादेश 12 मार्च को लिए
न कापी न लाने पर बच्चों को कक्षा र में खड़ा करने जैसी सजा भी अब र पूरी तरह प्रतिबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ए के आदेशों के अनुपालन में बेसिक त्र शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को सभी ऊ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को णि शासनादेश का हवाला देते हुए इस के संबंध में सख्त निर्देश जारी किए संह जारी हुआ था। अब इसकी कड़ाई है। से निगरानी की जाएगी।
निर्देशों में कहा गया है कि निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा पर का अधिकार अधिनियम-2009, बाल संरक्षण आयोग के दिशा निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों 11 के तहत हर विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जाए। इसमें स्पष्ट किया गया है कि शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक या लैंगिक उत्पीड़न किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। इनमें
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बच्चों को मारना-पीटना, अपमानित करना, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव करना, अनुचित टिप्पणी की करना या सहपाठी द्वारा किए गए उत्पीड़न को नजरअंदाज करना
किताब-कापी नहीं लाने पर कक्षा में खड़ा करना प्रतिबंधित
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बेसिक शिक्षा विभाग सख्त
आदि अन्य कई प्रकार भी शामिल है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि शासनादेश की साफ्ट कापी सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और प्रबंधकों तक पहुंचाई जाए।
साथ ही छात्रों को भी आरटीई एक्ट-2009 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 में दिए गए प्रविधानों से परिचित कराया जाए, ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न या भेदभाव की स्थिति में शिकायत दर्ज करा सकें।
विभाग ने साफ कहा है कि यदि किसी विद्यालय में बच्चों के साथ भेदभाव या अनुशासन के नाम पर दंड देने की शिकायत पाई गई, तो संबंधित शिक्षक या प्रबंधक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। विद्यालयों में पठन-पाठन से जुड़ी बच्चों, अभिभावकों या आम जनता की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए जून 2024 में टोल फ्री नंबर 1800-889-3277 शुरू किया गया था।
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