स्कूल खुलने को लेकर घबरा रही अध्यापिकाएं, शासन को कराएंगे अवगत


परिषदीय स्कूल एक जुलाई से खुलने वाले हैं। ऐसे में जिन शिक्षकों के बच्चे छोटे हैं वे शिक्षकों कैसे संक्रमण से रोकथाम करेंगी। इसको लेकर शिक्षकों ने बीएसए समेत शिक्षक नेताओं से गुहार लगाई है।
उच्च प्राथमिक विद्यालय बलरामपुर की अध्यापिका अनामिका वर्मा प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए बताया कि उनके एक पांच वर्ष की पुत्री और एक आठ माह का लड़का है। केंद्र सरकार ने दस वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर न निकलने के दिशा निर्देश दिए हैं। इन सभी के कोरोना संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक है। प्राथमिक विद्यालय मनकापुर की अध्यापिका रश्मि अरोड़ा ने बताया कि इनके एक 18 महीने की बेटी है जो उन्हीं पर आश्रित है। देखरेख करने वाला कोई नहीं है। पति गाजियाबाद में कार्यरत हैं। प्राथमिक विद्यालय बलीपुर की अध्यापिका अलका सिंह ने कहा कि उनकी एक भाई वर्ष की पुत्री है। वह उन पर ही आश्रित है। पति इटावा में हैं। उजरामऊ की अध्यापिका मनीषा ने कहा कि उनके एक छह वर्ष और दूसरा तीन वर्ष का पुत्र है। उन्हें अपने पुत्रों को अपने साथ विद्यालय में ले जाना पड़ता है। महमदपुर गुड़िया की अध्यापिका श्वेता ने कहा कि बह छह माह की गर्भवती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य नहीं है। कोरोना संक्रमित होने का अधिक खतरा है। प्राथमिक विद्यालय महलई की बबिता पटेल ने कहा कि उनके सात माह का बेटा है। प्राथमिक विद्यालय भोजपुर की सुधा चौधरी ने प्रदेश अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि उनके पुत्र की आयु साढ़े चारवर्ष है और छोटे बच्चे की आये दस महीने है। जो कि उन्हीं पर आश्रित है। दस माह की बच्ची को तो साथ में लेकर स्कूल जाना पड़ेगा।

शासन को कराएंगे अवगत
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष भूपेश प्रकाश पाठक ने कहा कि कई शिक्षकों ने प्रदेश अध्यक्ष के नाम उन्हें मांग पत्र दिए हैं जिसमें शिक्षिकाओं ने अपनी मजबूरी बया करते हुए संक्रमण से खतरा बताया है इस मामले में शासन को अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए सभी स्कूलों में जुलाई से पहले सैनिटाइजेशन कराया जाए। जिन शिक्षिकाओं के बच्चे छोटे हैं उन्हें विद्यालय से छूट प्रदान की जाए।