21 August 2025

लखनऊ हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों के विलय पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया, दिया यह आदेश

 

लखनऊ। प्रदेश के सरकारी स्कूलों के मर्जर (विलय) को लेकर चल रही कवायद पर आज लखनऊ हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की। अदालत ने साफ कहा कि राज्य सरकार को अब तक हुए सभी आदेशों और निर्णयों को रिकॉर्ड पर लाना होगा, जिससे अदालत पूरे मामले की गहराई से पड़ताल कर सके। कोर्ट ने साथ ही यह भी निर्देश दिया कि सीतापुर ज़िले के स्कूलों के संबंध में वर्तमान स्थिति को यथावत बनाए रखा जा, यानी वहां फिलहाल कोई नया बदलाव लागू नहीं होगा।  



उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के विलय मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विशेष अपीलों पर सुनवाई की। इस दौरान राज्य सरकार ने मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष जवाब दाखिल किया। इसमें कहा कि सरकार 50 से कम बच्चों वाले स्कूलों का विलय या पेयरिंग नहीं करेगी। इसके साथ ही प्राथमिक स्कूलों की दूरी एक किमी से दूर नहीं होगी। 





राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया ने बताया कि सरकार के इस निर्णय को प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेज दिया गया है। आगे की कार्रवाई इसके तहत हो रही है। मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।


दरअसल, बीती 24 जुलाई को हाईकोर्ट ने विलय प्रक्रिया में उजागर हुई स्पष्ट अनियमितताओं के मद्देनजर सीतापुर के स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह अंतरिम आदेश देते समय अदालत ने स्कूलों के विलय या मर्जर की सरकार की नीति और इस पर अमल करने की मेरिट पर कुछ नहीं किया है।

21 अगस्त तक मौजूदा स्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था

अदालत के सामने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए विलय के कुछ दस्तावेजों में साफ अनियमितताएं सामने आई थीं। राज्य सरकार की ओर से इनका स्पष्टीकरण देने का समय मांगा गया था। इसके मद्देनजर कोर्ट ने सीतापुर जिले में स्कूलों की विलय/ पेयरिंग प्रक्रिया पर 21 अगस्त तक मौजूदा स्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। 




पहली विशेष अपील सीतापुर के पांच बच्चों ने, और दूसरी भी वहीं के 17 बच्चों ने अपने अभिभावकों के जरिये दाखिल की है। इनमें स्कूलों के विलय में एकल पीठ द्वारा बीती 7 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया है। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ एलपी मिश्र व अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलीलें दीं। जबकि, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ बहस की।

एकल पीठ ने विलय आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था

गौरतलब है कि बीती 7 जुलाई को स्कूलों के विलय मामले में एकल पीठ ने प्रथामिक स्कूलों के विलय आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्रथामिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर दिया था।


इनमें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बीती 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया था। इसके तहत प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया था।