हर जिले की रिपोर्ट सीएम के पास, रडार पर कई अफसर


मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में शिकायतों की ऐसी भी फेहरिस्त है, जो बार-बार की जाती हैं। इनमें ज्यादातर मामले ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं। कई मामले चिकित्सकीय आर्थिक सहायता के होते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री की ओर से संबंधित सूचीबद्ध अस्पताल में प्राथमिकता के आधार पर धनराशि भेजी जाती है। ऐसे आर्थिक सहायता के रोजाना पांच से 25 प्रार्थना-पत्र मिलते हैं। सीएम योगी ने कई बार तो जनता दर्शन में ही दिव्यांगों को व्हील चेयर, इलेक्ट्रिक स्टिक और श्रवण यंत्र आदि दिए हैं।


हजार के करीब शिकायतें अब तक जनता दर्शन में आईं

● आम लोगों की शिकायतों के निस्तारण में गुणवत्ता के आधार पर अफसरों को मिल रहा दंड और इनाम

● सीएम योगी के जनता दर्शन में पहुंच रही हर शिकायत का हो रहा गहनता से परीक्षण

लखनऊ, विशेष संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आम लोगों से जुड़ी शिकायतों की खुद रोजाना मॉनिटरिंग कर रहे हैं और जनता दर्शन, जनसुनवाई समाधान प्रणाली और हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों की रोजाना उन्हें रिपोर्ट दी जा रही है। सीएम के पास आम लोगों की शिकायतों से जुड़ी हर जिले की रिपोर्ट है और इसी के आधार पर जिले के कई अफसर रडार पर हैं। जल्द कई जिलों में अफसरों पर कार्रवाई होगी।

योगी 2.0 में आम लोगों की शिकायतों के निस्तारण में गुणवत्ता के आधार पर अफसरों को दंड और इनाम मिल रहा है। अच्छा काम करने वालों अफसरों को प्राइम पोस्टिंग मिल रही है, तो खराब प्रदर्शन करने वालों को किनारे भी किया जा रहा है। हाल ही में ऐसे कई अफसरों को निलंबित करने से लेकर प्रतिकूल प्रविष्टि तक दी गई है। सीएम योगी के जनता दर्शन में पहुंच रही हर शिकायतों का गहनता से परीक्षण किया जा रहा है और ऐसे मामले, जिनमें कार्यवाही की जरूरत है, उन्हें संबंधित अधिकारी को भेजा जा रहा है। कुछ मामलों में अधिकारियों की लापरवाही पर कार्रवाई भी की गई है।

जब तक गुणवत्तापरक निस्तारण न हो जाए, तब तक वापस हो रही रिपोर्ट : मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक सीएम योगी के जनता दर्शन में इस साल चार अप्रैल से 16 अगस्त तक 28,715 जनशिकायतें आई हैं। इसमें से 26,258 मामलों का निस्तारण हो चुका है। 3,329 संवेदनशील मामलों में उसी दिन सीएम कार्यालय की ओर से फोन पर बात कर आख्या ली गई है और 2,677 मामलों में अनुमोदन किया गया है। 591 आख्याओं को संतोषजनक नहीं होने पर आपत्ति के साथ वापस किया गया है और तब तक वापस किया जा रहा है, जब तक गुणवत्तापरक निस्तारण न हो जाए।