सरकारी शिक्षिकाओं के मातृत्व अवकाश के फैसले का किया स्वागत

परिषदीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत अध्यापिकाओं को दो साल के अंतराल से पहले मातृत्व अवकाश लेने का आदेश बेसिक शिक्षा विभाग जल्द करे। शिक्षक संगठन यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सहित विभाग के उच्चाधिकारियों से पत्र लिख कर जल्द आदेश जारी करने की मांग की है।

यूटा मीडिया प्रभारी सतेंद्र पाल सिंह ने कहा कि अध्यापिकाओं को दो वर्ष के भीतर मातृत्व अवकाश मिलना चाहिए। इसमें अधिकारी हीला-हवाली न करें। यूटा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इस आदेश से परिषदीय स्कूलों की शिक्षिकाओं को राहत मिली है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इटावा जिले की शिक्षिका अनुपम समेत प्रदेश के विभिन्न जनपदों की दर्जन से अधिक शिक्षिकाओं के द्वारा अलग-अलग दाखिल याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के दौरान निर्देश दिया है कि राज्य सरकार के तहत मैटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान लागू हैं और फाइनेंशियल हैंडबुक के नियम के आधार पर कानून को अतिक्रमित नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि मैटरनिटी एक्ट को संसद द्वारा संविधान के प्रावधानों के तहत पारित किया गया है इसलिए मैटरनिटी एक्ट के प्रावधान फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधानों पर प्रभावी होंगे।

याचिकाकर्ता शिक्षिकाओं ने पहले बच्चे के जन्म के समय मातृत्व अवकाश लिया अब उन्होंने दूसरे बच्चे के जन्म के समय विभाग में अवकाश के लिए आवेदन किया तो जिले के शिक्षा अधिकारियों ने यह कहते हुए उनके आवेदन निरस्त कर दिए कि उनके बच्चों के जन्म में दो वर्ष का अंतराल नहीं है। अधिकारियों ने फाइनेंसियल हैंडबुक के प्रावधान का हवाला देते हुए उन शिक्षिकाओं को उनके हक से वंचित कर दिया गया था।