वर्तमान में खाद्य सामग्री, तेल, दाल, सब्जी, फल, दूध आदि पर महंगाई की मार पड़ी है। गैस सिलिंडर के दाम भी दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। ऐसे में भोजन की गुणवत्ता क्या होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2020 में अरहर की दाल 80 रुपये के आसपास थी जो अब 130 रुपये से अधिक प्रति किलो हो गई है। सरसों का तेल 150 रुपये किलो की दर से मिल रहा है। कन्वर्जन कॉस्ट का रेट नहीं बढ़ने से प्रधानाध्यापकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षक लगातार कन्वर्जन कॉस्ट बढ़ाए जाने की मांग करते चले आ रहे हैं। मगर अभी इस पर फैसला नहीं हो सका है।
अधिकारी निरीक्षण में भोजन की गुणवत्ता देखते हैं। शिक्षकों का कहना है कि कम धनराशि में बेहतर गुणवत्ता का भोजन दे पाने मुश्किल है.
कन्वर्जन कॉस्ट न बढ़ने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गैस के दाम दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। खाद्य पदार्थों के दाम भी आसमान छू रहे हैं। ऐसे में बच्चों को गुणवत्तायुक्त भोजन उपलब्ध कराना बहुत ही कठिन हो चुका है। - श्रीओम चतुर्वेदी, संरक्षक राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
छह माह से ग्रुप में एक पत्र घूम रहा था। इसमें कन्वर्जन कॉस्ट बढ़ाने की बात कही गई है, लेकिन आज तक बढ़ी दर नहीं मिली। बाजार में आठ रुपये का समोसा मिल रहा है और हमें पांच रुपये में बच्चों को भोजन उपलब्ध कराना है।- अखिलेश चंद्र यादव, जिलाध्यक्ष, प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ
कन्वर्जन कॉस्ट में वृद्धि शासन स्तर से होनी है। इसमें जिले स्तर से कुछ नहीं किया जा सकता है। जहां तक छह माह पूर्व से विभागीय ग्रुप में घूम रहे पत्र की बात करें, तो यह पत्र फर्जी था। दो साल से कन्वर्जन कॉस्ट में कोई वृद्धि नहीं हुई है। - नमन पांडेय, मध्याहन भोजन योजना, प्रभारी