अधिकार स्वरूप तबादला नहीं मांग सकते अध्यापक,पांच वर्ष की सेवा अनिवार्यता रद्द करने की थी मांग


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों के लिए दो जून 2023 को जारी राज्य सरकार की तबादला नीति को वैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि अध्यापक अधिकार स्वरूप स्थानांतरण की मांग नहीं कर सकते। यह आदेश खंडपीठ ने कुलभूषण मिश्र व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याचिका में दो जून को जारी सर्कुलर को चुनौती देते हुए इन्हें रद्द करने की मांग की गई थी। याची संख्या एक की तैनाती नेवादा विकासखंड और याची दो की नियुक्ति ब्लॉक धनूपुर में है।


पांच वर्ष की सेवा अनिवार्यता रद्द करने की थी मांग

अध्यापकों ने शासनादेश के उस प्रावधान को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की थी, जिसमें यह शर्त है कि सामान्य स्थिति में पुरुषों के लिए पांच वर्ष एवं महिला के लिए दो वर्ष सेवा के बाद स्थानांतरण पर विचार होगा। कहा गया था कि ट्रांसफर पॉलिसी में पांच वर्ष की सेवा की अनिवार्यता रद्द की जाए। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि नौशाद रहमान केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार कोई भी अध्यापक स्थानांतरण की मांग अधिकार स्वरूप नहीं कर सकता। ट्रांसफर पालिसी में कोई खामी नहीं है।